पटना, 14 जनवरी (वार्ता) बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने मकर संक्रांति को सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने वाला पर्व बताया और कहा कि यह मनुष्य का प्रकृति के साथ प्रेम-भाव के प्रकटीकरण का एक अन्यतम लोक उत्सव है।
श्री टंडन ने शाखा मैदान में आयोजित ‘मकर संक्रांति महोत्सव’ को संबोधित करते हुए कहा कि सूर्योपासना से जुड़ा ‘मकर संक्रांति’ का पर्व मनुष्य के प्रकृति के साथ प्रेम-भाव के प्रकटीकरण का एक अन्यतम लोक उत्सव है। उन्होंने कहा कि नदी किनारे जाकर स्नान-दान, पूजा-अर्चन की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है। भारतीय संस्कृति में प्रत्येक पर्व-त्योहार के आयोजन के पीछे वैज्ञानिकता छिपी है। सूर्य के उत्तरायण होने से प्रकृति में काफी सकारात्मक परिवर्तन होते हैं एवं सूर्य से नव ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
राज्यपाल ने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने की दृष्टि से भी अनुपम त्योहार है, जिसमें साधु-संत और गृहस्थ सभी एक साथ शामिल होते हैं। उन्होंने वैदिक ऋचा की सूक्ति -‘‘इदन्नमम’’ को उद्धृत करते हुए कहा कि जो कुछ है, वह ईश्वर का ही है, फिर उसे ‘त्वदीयं गुरू गोविन्दं तुभ्यमेव समर्पये’ -‘तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा’ की भाव-मुद्रा में भक्तिपूर्वक सबकुछ ईश्वर को ही निवेदित कर देने की प्रेरणा हमें ‘मकर संक्रांति’ से मिलती है।
सतीश सूरज
जारी वार्ता