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प्राकृतिक खेती में हैं पूरकता का संदेश: तोमर

प्राकृतिक खेती में हैं पूरकता का संदेश: तोमर

ग्वालियर, 03 दिसंबर (वार्ता) केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बल देने के लिए हम सभी को विचार विमर्श करना चाहिये।

श्री तोमर आज यहां राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है, कृषि केवल आजीविका ही नहीं है बल्कि मनुष्य को आजीविका के साधन जुटाने में भी सहयोग करती है। आज अन्य देश भी भारत से अपेक्षा करते है कि खाद्यान्न में प्रतिकूलता आने पर भारत हमारी सहायता करेगा। हमारे देश का सैनिक को आय प्राप्त होती है परंतु जब वह बॉर्डर पर होता है तब उसके मस्तिष्क में न धर्म, न जाति और न परिवार होता है वह केवल आपके दायित्व का निर्वाह करने पर ध्यान केन्द्रित करता है। इसी प्रकार हमारा किसान केवल अपने लिए नहीं पूरे समाज व देश के लिए पसीना बहाता है।

श्री तोमर ने कहा कि एक समय हमने रासायनिक खेती के माध्यम से हरित क्रांति कर अपनी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा किया पर अब इसके कारण होने वाले दूरगामी दुष्परिणामों को ध्यान में रखते हुए हमें प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना ही होगा। हमारी सरकार का लक्ष्य अब किसान के उत्पाद को इस स्तर का बनाना है कि वह उसे किसी भी बाजार में अच्छे मूल्य पर बेच सकें। उन्होंने कहा कि अब वैज्ञानिकों को इस दिशा में अनुसंधान और शिक्षा देने के लिए काम करना होगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में पूर्णता का संदेश है क्योंकि इसके साथ पशुपालन विशेष रूप से गोपालन जुड़ा हुआ है। घर में गाय के रहने से न केवल खेती के लिए वरन परिवार के लिए भी पोषण उपलब्ध होता है ,इससे देश को घातक बीमारियों से बचाया जा सकता है। आने वाले समय को देखते हुए प्राकृतिक खेती समय की मांग है।

प्रदेश के उद्यानिकी एवं नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाहा ने कहा कि किसान का उत्पादन शुद्ध हो उससे मानव जीवन में अनेक लाभ होते हैं। उन्होंने किसानों से निवेदन किया कि प्राकृतिक खेती से कई प्रकार के लाभ हैं इसलिए उसकी और अधिक ध्यान दें ,यह देश और समाज के लिए भी आवश्यक है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक विस्तार श्री चहल ने कहा कि भारत सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्रों को प्राकृतिक खेती को लोकप्रिय बनाने की जो जिम्मेदारी सौंपी है उसे पूरे मनोयोग से सफल बनाने के लिए देश के सभी 425 कृषि विज्ञान केंद्र काम करेंगे।

केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय इम्फाल के कुलपति प्रोफेसर अनुपम मिश्रा ने कहा कि देश में पहली बार प्राकृतिक खेती पर इस प्रकार की बड़ी कार्यशाला हो रही है। प्रकृति के साथ समन्वय बनाकर रहना मनुष्य के लिए सदैव आवश्यक है। डायरेक्टर अटारी एसआरके सिंह ने कहा कि प्राकृतिक खेती देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविन्द कुमार शुक्ला ने कहा कि प्राकृतिक खेती भारत में आदिकाल से होती आई है ,इसके कारण मृदा में पोषक तत्व की कमी नहीं होती तथा प्रगति और प्रकृति के बीच समन्वय बना रहता है।

राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय के दत्तोपंत ठेंगडी सभागार में आयोजित इस कार्यशाला में देश के विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों के 425 वैज्ञानिक, कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान के नोडल अधिकारी एवं लगभग 300 कृषक भाग ले रहे है।

सं नाग

वार्ता

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