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वाराणसी में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला

वाराणसी में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला

वाराणसी, 13 मई (वार्ता) प्राचीन काल से अध्यात्म एवं ज्ञान के लिए विख्यात बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यहां से लोकसभा उम्मीदवार होने के कारण एक बार फिर सबके लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है और प्रमुख दलों के नेताओं के चुनाव प्रचार में उतरने से इस क्षेत्र में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है।

पांच विधान सभाओं में बंटे 18, 54,541 मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत 18 राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों तथा आठ निर्दलीयों समेत कुल 26 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकालबा भाजपा के श्री मोदी, कांग्रेस के श्री अजय राय और बसपा-सपा-राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन की उम्मीदवार शालिनी यादव के बीच है।

देश को दो प्रधानमंत्री और सात ‘भारत रत्न’ देने वाले वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में चुनाव अंतिम चरण में 19 मई को होना है। भाजपा, कांग्रेस एवं सपा के प्रमुख नेता जोर शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। भाजपा नेता पांच वर्षां में वाराणसी में हुए विकास कार्यों के साथ साथ राष्ट्रवाद के मुद्दे को उठा रहे हैं, जबकि कांग्रेस एवं सपा नेता बेरोजगारी, मंदिर कोरिडोर निर्माण के लिए कथित तौर पर वहां के प्राचीन मंदिरों को तोड़े जाने, किसानों की बदहाली, जीएसटी एवं नोटबंदी के मुद्दों को उठा रहे हैं। विपक्षी दलों के नेता ग्रामीण इलाके में जमीन अधिग्रहण के बाद उचित मुआवजे की मांग को भी मुद्दा बना रहे हैं।

वर्ष 2014 में श्री मोदी ने इस सीट पर 5,81,022 मदाताओं का समर्थन हासिल कर जीत दर्ज की थी जबकि दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 2,92,038 मत हासिल कर दूसरे और वाराणसी के पिंडरा विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे श्री राय 75,614 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। बसपा के विजय प्रकाश जायसवाल को 60,579 मतों के साथ चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था जबकि पांचवें स्थान पर रहे सपा उम्मीदवार कैलाश चौरसिया को 45,294 मत मिले थे।

श्रीमती यादव राज्य सभा के पूर्व उप सभापति एवं यहां के पूर्व सांसद श्याम लाल यादव की बहू हैं। उन्होंने वर्ष 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर वाराणसी के महापौर का चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें करीब एक लाख 1300 मत मिले थे और वह दूसरे स्थान पर रही थीं। उन्होंने लोक सभा चुनाव के लिए गत 29 अप्रैल को नामांकन से कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ी और सपा का दामन थामा था।

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