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गोरखालैंड राज्य की मांग पर शहादत देने वालों को अवश्य ही न्याय मिलेगा:बिष्ट

गोरखालैंड राज्य की मांग पर शहादत देने वालों को अवश्य ही न्याय मिलेगा:बिष्ट

दार्जिलिंग, 27 जुलाई (वार्ता) पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग लोकसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने 27 जुलाई 1986 को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गोरखालैंड की मांग को लेकर किए गए अत्याचार की याद में शनिवार को यहां आयोजित शहीद दिवस के कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान कहां है कि गोर्खालैंड के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए दार्जिलिंग पहाड़, तराई और डुवर्स क्षेत्र के जनता के साथ खरसांग को भी शामिल किया जाना चाहिए।

श्री बिष्ट ने 27 जुलाई 1986 को कालेबुंग में पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा निर्दोष लोगों पर की गई गोलीबारी का उल्लेख किया, जिसमें कई गोरखा युवाओं ने अपनी जान गंवाई थी। उनकी एकमात्र मांग यह थी कि उन्हें विदेशी न माना जाए और उनकी राष्ट्रीयता के बारे में प्रश्न नहीं उठाया जाए।

उन्होंने कहा कि गोरखालैंड के लिए संघर्ष राजनीतिक स्वायत्तता के लिए नहीं, बल्कि गोर्खा जाति की गरिमा, पहचान और आत्म-निर्णय के लिए है। यह अपनी माटी, संस्कृति, भाषा और विरासत को संरक्षित करने के लिए है।

उन्होंने शहीदों के बलिदान को अटल वचनबद्धता का प्रमाण बताया, जो एक ऐसे मुद्दे के लिए था जहां गोरखा पहचान को सुरक्षित रखा जा सके। आज भारतभर में गोरखा समुदाय के लोग अपनी पहचान के साथ गर्व से जीते हैं, जो दार्जिलिंग-कालेबुंग क्षेत्र के हजारों गोरखा के बलिदान के कारण संभव हो पाया है।

श्री बिष्ट ने कहा कि शहीदों की वीरता हमें प्रेरित करती रहेगी और उनके सपनों को साकार करने के लिए हमें पुनर्बल प्रदान करेगी। उनका अदम्य साहस हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा है कि पहाड़ की गोरखाओं की इस बलिदान को सफल करवाने के लिए अपना अग्रिम प्रयास रहेगा। इस कार्यक्रम के दौरान भाजपा को समर्थन देने वाले क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के संस्थापक विमल गुरुंग एवं महासचिव रोशन गिरी लगाया शहीद दिवस के कार्यक्रम में सहभागी थे। उनके अलावा भारी मात्रा में लोगों की उपस्थिति देखा गया।

श्री बिष्ट ने कहा कि गोरखालैंड के लिए संघर्ष राजनीतिक स्वायत्तता के लिए नहीं, बल्कि गोर्खा जाति की गरिमा, पहचान और आत्म-निर्णय के लिए है। उन्होंने शहीदों के बलिदान को अटल वचनबद्धता का प्रमाण बताया और कहा कि उनकी वीरता हमें प्रेरित करती रहेगी।

सं.संजय

वार्ता

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