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बिजनेस


तीन दोस्तों ने बदल दिया नकद रहित भुगतान का स्वरूप

(अजीत झा से) 


नयी दिल्ली, 06 सितंबर (वार्ता) मोबाइल वॉलेट कंपनियों की तेजी से बढ़ती संख्या के बीच तीन दोस्तों ने मिलकर मोबाइल के जरिये पैसे ट्रांसफर करने, बिल भुगतान करने या खरीददारी करने के लिए ऐसा ऐप विकसित किया है जिसमें पहले से वॉलेट में पैसे रखने की जरूरत समाप्त हो गई है। इस ऐप के जरिये पैसा सीधे आपके बैंक खाते से प्राप्तकर्ता के बैंक खाते में चला जायेगा। राहुल गोचवाल, नरेंद्र कुमार और विवेक लोचव पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक में साथ पढ़ते थे। राहुल और विवेक मकेनिकल इंजीनियर हैं जबकि नरेंद्र कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र से हैं। तीनों ने आगे की पढ़ाई अलग-अलग शहरों में की, लेकिन एक नयी सोच को कार्यरूप देने की दृढ़ इच्छाशक्ति में उन्होंने ट्रूपे नाम से एक नई कंपनी बना डाली। राहुल ने यूनीवार्ता के साथ एक विशेष बातचीत में बताया कि पिछले साल जून में जब एक के एक बाद एक मोबाइल वॉलेट कंपनियाँ उभरकर आ रही थीं, आपस में बात करते हुये उन्होंने सोचा कि अपना पैसा बैंक में रखकर जो ब्याज उन्हें मिलता उसके बदले उनके पैसे पर मोबाइल वॉलेट कंपनियाँ ब्याज क्यों कमायें। लेकिन, ऑनलाइन या बैंकों के ऐप के जरिये भी एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसे रियल टाइम में ट्रांसफर नहीं होते। इसके लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) आ चुका था, लेकिन यह पूरी तरह विकसित नहीं था। तीसरे, क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट करने पर व्यापारियों के खाते में वह पैसा तुरंत नहीं पहुँच जाता। उन्होंने बताया कि सितंबर तक ट्रूपे की सोच उनके दिमाग में पैदा हो चुकी थी। उन्होंने सोचा कि देश की महज चार प्रतिशत आबादी कार्ड के जरिये भुगतान करती है जबकि जनधन योजना के बाद लगभग पूरी आबादी के पास बैंक खाता और मोबाइल नंबर है। उन्होंने तय कर लिया कि वे ऐसी प्रणाली विकसित करेंगे जिससे इन्हीं दोनों के आधार पर पैसे ट्रांसफर करना या भुगतान करना संभव हो सके। वह स्वयं आईआईएम कोलकाता से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर इंडिया बुल्स में नौकरी कर चुके थे, जिससे कुछ वरिष्ठ बैंक अधिकारियों के साथ उनकी जान-पहचान हो चुकी थी। विवेक भी आईआईएम बेंगलुरु से तथा नरेंद्र पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से स्नातकोत्तर कर कुछ समय नौकरी कर चुके थे। 


         राहुल ने बताया कि उन्होंने बैंकों के तकनीकी प्रमुखों से बात करनी शुरू की। आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक तथा एक्सिस बैंक में उन्होंने बात की। सबने उन्हें प्रोत्साहित किया। लेकिन, असली मोड़ तब आया जब उन्होंने वाकई एक छोटा यूपीआई बना डाला। यूपीआई का लाइसेंस अभी सिर्फ बैंकों को मिलता है। उनका मॉडल यूपीआई देखकर यस बैंक प्रबंधन काफी प्रभावित हुआ और उसने इनका तकनीकी सहभागी बनने की पेशकश की। यस बैंक ने यूपीआई के लिए लाइसेंस लिया और इस प्रकार ट्रू पे का जन्म हुआ। इस ऐप के इस्तेमाल के लिए बैंक खाता और उससे जुड़ा मोबाइल नंबर होना जरूरी है। इस मोबाइल नंबर वाले हैंडसेट पर ऐप डाउनलोड करने के बाद ऑनलाइन केवाईसी रियल टाइम में पूरी कर ली जाती है। इसके बाद उपभोक्ता किसी भी बैंक के किसी भी खाते में रियल टाइम में पैसे स्थानांतरित कर सकता है। इसके लिए उसे पहले उस खाते को पंजीकृत करना होता जिसमें 10 सेकेंड से ज्यादा नहीं लगते। इसके अलावा डिजिटल सिग्नेचर के जरिये भी पैसे स्थानांतरित कियेे जा सकते हैं। वहीं, ट्रूपे के क्लाइंट मर्चेंट पहले से ही ऐप पर पंजीकृत होते हैं इसलिए उपभोक्ताओं को उन्हें पंजीकृत करने की जरूरत नहीं होती। जापानी कंपनी एमएंडएस पार्ट्नर्स ने शुरुआती पूँजी उपलब्ध कराई। राहुल ने बताया कि उनकी कंपनी यूपीआई रखने वाली पहली गैर बैंकिंग कंपनी बनी और उसका यूपीआई अन्य बैंकों के मौजूद यूपीआई से बेहतर है। उनका पहला क्लाइंट गोजावा था जिसके लिए उन्होंने ऐप के जरिये कैश ऑन डिलिवरी सुविधा उपलब्ध कराई। इससे कंपनी को नकद प्रबंधन से पूरी तरह मुक्ति मिल गई क्योंकि पैसा सीधे बैंक खाते में पहुँचने लगा। वर्तमान में 21 बैंक ट्रूपे के प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं। राहुल के अनुसार, इस समय भारतीय स्टेट बैंक और एचडीएफसी बैंक को छोड़कर सभी बड़े बैंक उनसे जुड़ चुके हैं। इन दोनों के साथ भी बातचीत चल रही है। अभी यह ऐप सिर्फ एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोनों के लिए है, लेकिन एप्पल के आईओस के लिए भी इसका संस्करण एक महीने के भीतर तैयार कर लिये जाने की उम्मीद है। 


        राहुल ने बताया कि उनका फोकस बड़े क्लाइंट के साथ छोटे-छोटे दुकानदारों को भी अपने प्लेटफॉर्म पर लाना है। बड़े क्लाइंटों में आईआरसीटीसी तथा दिल्ली मेट्रो पर उनकी नजर है। इसके अलावा बिजल वितरण कंपनियाँ, जलबोर्ड आदि भी उनके निशाने पर हैं। साथ ही वह मोहल्ले के दुकानदारों को भी जोड़ना चाहते हैं। उनका कहना है कि अभी दुकानदारों को हर ट्रांजेक्शन पर कम से कम दो प्रतिशत सेवा प्रदाता कंपनी को देना पड़ता है जबकि ट्रूपे उनसे डेढ़ फीसदी चार्ज करेगा। इसके अलावा दुकानदारों को कार्ड स्वाइपिंग मशीन रखने तथा उसके मासिक किराये से भी मुक्ति मिल जायेगी। व्यक्ति से व्यक्ति के खाते में पैसा ट्रांसफर करने के लिए कोई शुल्क नहीं हाेगा। उन्होंने बताया कि आईएफएल, शटल, इंडिया बुल्स, डिलिवरी, एंजेल ब्रॉकिंग, शेरखान जैसे 13 बड़े क्लाइंट तथा रेस्त्रां एवं छोटे दुकानदारों जैसे डेढ़ सौ से ज्यादा छोटे क्लाइंट उनके प्लेटफॉर्म पर हैं। एयरटेल, वोडाफोन, बिग बाजार, मोर जैसी कंपनियों से अभी बात चल रही है। राहुल ने बताया कि देश की लगभग सभी बड़ी फंडिंग कंपनियाँ उनकी कंपनी में निवेश की इच्छुक हैं तथा उन्होंने खुद उनसे संपर्क किया है। उनके साथ बातचीत चल रही है तथा 50 से 100 लाख डॉलर के बीच निवेश प्राप्त होने की संभावना है। कंपनी अभी मुनाफा नहीं कमा रही है, लेकिन क्लाइंट की संख्या बढ़ने के साथ उसे मुनाफे में आने की उम्मीद है। राहुल ने सभी बैंकों को आपस में जोड़ने के लिए रिजर्व बैंक की तारीफ की और कहा कि यदि केंद्रीय बैंक ने ऐसा नहीं किया होता तो उनका काम बेदह मुश्किल होता। उन्होंने स्वीकार किया कि ट्रूपे की सफलता के बाद दूसरी कंपनियाँ भी इस तरह के नकद रहित भुगतान के क्षेत्र में उतरेंगी, जिससे उन्हें प्रतिस्पर्द्धा मिलेगी। लेकिन, उनका दावा है कि तब तक उनकी कंपनी काफी बढ़त बना चुकी होगी। 


 

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