नयी दिल्ली 19 सितम्बर (वार्ता) सरकार ने तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने वाले अध्यादेश को आज मंजूरी प्रदान कर दी। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा जिसके तहत तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल तक की कैद हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहाँ हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। तीन तलाक से संबंधित विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया था।
अध्यादेश के अनुसार, पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से “तलाक” देना गैर-कानूनी होगा। इसके लिए तीन साल की सजा तथा जुर्माने का प्रावधान है। नाबालिग बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी पीड़िता को मिलेगी तथा पीड़िता तथा नाबालिग बच्चे के भरण-पोषण के लिए उसका पति मजिस्ट्रेट द्वारा तय पैसे देगा।
पुलिस सिर्फ स्वयं पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वालों और शादी के बाद बने उसके रिश्तेदारों की शिकायतों पर ही संज्ञान लेगी। इसमें समझौते का प्रावधान भी शामिल किया गया है, लेकिन समझौता कराने का अधिकार सिर्फ मजिस्ट्रेट को होगा। वह उचित शर्तों पर पति-पत्नी के बीच समझौता करा सकता है। मजिस्ट्रेट को यह अधिकार भी दिया गया है कि वह पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद आरोपी पति को जमानत दे सकता है। हालाँकि, इस कानून के तहत हुई गिरफ्तारी की जमानत थाने से मिलना संभव नहीं होगा।
विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीन तलाक पर पिछले साल के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी निरंतर इसके मामले सामने आ रहे थे। मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनकी लैंगिक समानता अक्षुण्ण रखने के लिए इस तरह का कानून अत्यावश्यक हो गया था। इसलिए, सरकार राज्यसभा में विधेयक के पारित होने का इंतजार किये बिना इस पर अध्यादेश लेकर आयी है। यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में प्रभावी होगा। हालाँकि, पुराने मामलों में यह अध्यादेश प्रभावी नहीं होगा।
उन्होंने विपक्षी दल कांग्रेस पर विधेयक पर वोट बैंक की राजनीति करने और इसे जानबूझकर राज्यसभा में अटकाने का आरोप लगाया।