गया 11 जनवरी (वार्ता) उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी गया में तिलकुट के बाजार की रौनक बढ़ गयी है।
उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी गया मौसमी मिठाइयों के लिए मशहूर रही है। बरसात में 'अनारसा', गर्मी में 'लाई' और जाड़े में 'तिलकुट'।मकर संक्रांति के दिन लोगों के भोजन में चूड़ा-दही और तिलकुट शामिल होता है। तिलकुट को गया की प्रमुख पारंपरिक मिठाई के रूप में देश-विदेश में जाना जाता है। मकर संक्राति 14 जनवरी को लेकर बिहार में तिलकुट की दुकानें सज गई हैं। गया का तिलकुट बिहार और झारखंड में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है।
मकर संक्रांति करीब आते ही लोग तिलकुट, तिलवा एवं लाई को याद करने लगते हैं। हालांकि, तिल से बने ये सभी उत्पाद दूसरी जगहों पर भी बनते हैं लेकिन जब बात तिलकुट की हो तो गया को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अन्य वर्षों की तरह इस बार भी मकर संक्रांति से पहले गया के तिलकुट बाजार में भारी चहल-पहल है।
बिहार के गया में 14 जनवरी (मकर संक्राति) को लेकर तिलकुट की दुकानें सज गई हैं। गया में तिलकुट की मुख्य मंडी रमना और टिकारी रोड में है, जहां खरीददारी करने लोग दूर-दूर से आ रहे है। मकर संक्रांति के एक महीने पहले से ही गया की सड़कों पर तिलकुट की सोंधी महक और तिल कूटने की धम-धम की आवाज लोगों के जेहन में इस पर्व की याद दिला देती है। पर्व के एक से डेढ़ महीने पूर्व से यहां तिलकुट बनाने का काम शुरू हो जाता है। मोक्षनगरी गया में हाथ से कूटकर बनाए जाने वाले तिलकुट बेहद खस्ता होते हैं।
प्रेम सूरज
जारी वार्ता