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मूक-बधिरों की व्यथा समझने के लिए कार्मिकों को मिलेगा प्रशिक्षण

मूक-बधिरों की व्यथा समझने के लिए कार्मिकों को मिलेगा प्रशिक्षण

जयपुर, 17 जून (वार्ता) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि अस्पतालों, थानों और अन्य सरकारी विभागों में अधिकारी मूक-बधिरों की सुनवाई संवेदनशीलता के साथ कर सकें इसके लिए आमजन से जुड़े सरकारी कार्यालयों के कार्मिकों को सांकेतिक भाषा का विशेष प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।

श्री गहलोत ने आज उनसे मिलने आय मूकबधिरों के प्रतिनिधिमंडल से संवाद करते हुए कहा कि मूक-बधिरों के लिए दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को अधिक प्रामाणिक बनाने के लिए जिला अस्पतालों में बेरा डिवाइस लगाये जायेंगे इससे नकली प्रमाण-पत्र बनाने पर रोक लगेगी। उन्हाेंने कहा कि मूक-बधिरों की सांकेतिक भाषा समझने वाले विशेषज्ञों और अध्यापकों को उनके लिए स्थापित शिक्षण संस्थाओं में पदस्थापित किया जाए।

संवाद के दौरान श्री गहलोत ने दिव्यांगजनों के प्रतिनिधिमंडल से कहा कि हमारी सरकार ने सरकारी नौकरियों में दिव्यांगजनों का आरक्षण तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत किया था। इसके साथ ही उनके लिए आरक्षित सीटों पर उपयुक्त अभ्यर्थी नहीं मिल पाने से खाली रही सीटों को दो साल बाद अन्य कोटे से भरने के प्रावधान को समाप्त करने की मांग का भी परीक्षण किया जाएगा। इससे दिव्यांगजनों का बैकलॉग अन्य कोटे से नहीं भरा जा सकेगा।

इस अवसर पर श्री गहलोत नवे ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि दिव्यांगजनों को मनरेगा में व्यक्तिगत लाभ के कार्याें में तथा योग्यता के आधार पर मेट आदि के लिए नियोजित करने में प्राथमिकता दी जाए। साथ ही, अधिकारियों को डेयरी बूथ आंवटन में भी दिव्यांगों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए।

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