जयपुर 30 जून (वार्ता ) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि गोविन्द गुरू ने जनजातीय क्षेत्र के लोगों को सादा जीवन, उच्च विचार, नैतिकता और प्रकृति के साथ जुडकर जीने का आचरण सिखाया।
श्री मिश्र मंगलवार को राजभवन से वीडियो कान्फ्रेन्स के माध्यम से बांसवाडा के गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, छात्रों व छात्राओं को कोविड-19 की चुनौतियों एवं सम्भावनाओं विषयक पर वेबिनार में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि गोविन्द गुरू द्वारा सिखाये गये जीवन के तरीकों से ही जनजाति क्षेत्र के लोगों पर कोरोना का कोई असर नही हुआ। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति से जुडे़ रहने के कारण ही जनजातीय लोेगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है।
उन्होंने कहा कि चुनौतियाँ हजारों हैं, लेकिन हमारी संस्कृति और देश की थाती में अमृत कण हैं, जिनसे इस संकट से निकलने के अनेक रास्ते बन गये हैं और आगे भी हमारी राहें आलोकित होती रहेंगी। उन्होंने कहा कि जो कमजोरी होती है, वही मर्ज की दवाई भी बनती है। हमारे स्वर्णिम इतिहास में अनेक ऐसे अध्याय है,ं जो शाश्वत हैं, जिनमें आज भी सफलता के सूत्र छिपे हैं। आवश्यकता मात्र इस बात की है कि हम अपनी शक्ति को पहचानें।
श्री मिश्र ने कहा कि भारतीय संस्कृति और जीवन पद्धति की वैज्ञानिकता आज भी बनी हुई है। सरकारें अपना लोक कल्याणकारी कार्य करती रहेंगी, जीविकोपार्जन के संसाधन जुटाती रहेंगी, लेकिन आत्म निर्भरता, स्वावलंबन के सूत्र ही दीर्घजीवी और शाश्वत सिद्ध होंगे।
इस वैश्विक संकट में गाँव आधारित ने कहा कि यह ध्यान देने योग्य है कि जनजातीय क्षेत्र (बांसवाड़ा, डॅुगरपुर, प्रतापगढ़) में एक प्रतिशत से भी कम जनजातीय लोग संक्रमित हुए। उन्होंने कहा कि यह आंकड़े इस बात के द्योतक हैं कि जनजातीय व्यक्तियों ने अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखा है। ऐसा उनकी परम्परागत जीवन प्रणाली से सम्भव हो सका है।
रामसिंह
वार्ता