भारतPosted at: Jun 28 2019 7:02PM जनजातीय समूह ही वनोपज के सच्चे हकदार: मुंडा
नयी दिल्ली 28 जून (वार्ता) केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि जनजातीय समूह ही लघु वनोपज के सच्चे हकदार हैं तथा वनों, नदियों एवं खनिजों जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षक हैं।
श्री मुंडा ने यहां वन-धन योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए बनाई गई सौ दिनों की योजना पर कल यहां भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राईफेड) की एक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि जनजातियों के अहम प्रयासों के बावजूद उन्हें ही प्राकृतिक संसाधनों से सबसे ज्यादा वंचित रहना पड़ता है। ऐसे में यह सरकार की जवाबदेही बनती है कि वह उनके प्रयासों में पूरी मदद करे। इस अवसर पर जनजातीय कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह भी उपस्थित थीं। यह कार्यशाला वन-धन योजना के कार्यान्वयन के लिए गठित टीमों को प्रशिक्षण देने के लिए आयोजित की गई थी।
श्री मुंडा ने योजना के क्रियान्वयन की सफल शुरुआत के लिए ट्राईफेड टीम के प्रयासों की सराहना की और कहा कि टीम के प्रयास सही दिशा में किए गए हैं और यह जनजातीय समूहों की आजीविका के साधन जुटाने और उनकी आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने वन-धन योजना के जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मिलकर काम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इसके लिए निजी और सरकारी क्षेत्र के सभी पक्षधारकों के साथ मिलकर ऐसा नेटवर्क बनाया जाना चाहिए ताकि योजना का सर्वाधिक लाभ लक्षित समुदायों तक पहुंच सके।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “ जनजातीय समूह ही वास्तव में लघु वनोपज के सच्चे हकदार हैं। हम तो केवल उन्हें इन उत्पादों की सही कीमत पाने में मदद कर रहे हैं। सही मायने में जनजातियां ही वनों, नदियों और खनिजों जैसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षक हैं। संरक्षण के उनके इन अहम प्रयासों के बावजूद उन्हें ही इन संसाधनों से सबसे ज्यादा वंचित रहना पड़ता है।”
श्रीमती सिंह ने जनजातीय समुदायों की आय बढ़ाने तथा उनके लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के बारे में योजना के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह योजना सामुदायिक स्तर पर जनजातीय समूहों के लिए काफी लाभकारी होगी।
ट्राईफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्ण ने वन-धन कार्यक्रम ट्राईफेड की प्राथमिकता होगी और जमीनी स्तर पर योजना के कार्यान्वयन के लिए सांसद निधि, आजीविका मिशन तथा संयुक्त वन प्रबंधन समिति के बेहतरीन कामकाजी समूहों का चयन किया जाएगा। उन्होंने वन-धन स्व सहायता समूहों के सफल व्यवसाय संचालन के लिए एक स्थायी व्यवसाय योजना और विपणन नीति के महत्व पर भी जोर दिया।