नयी दिल्ली 02 जनवरी (वार्ता) सरकार आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के जरिए उनकी नयी पहचान, सशक्तीकरण और आय बढ़ाने की जुगत में बीते पूरे वर्ष जुटी रही और इसके लिए वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के अलावा ट्राइफैड की फ्रेंचाईजी तक देने की फैसले किये गये।
सरकार का ध्यान मुख्य रुप से आदिवासी समाज को उचित शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और अन्य आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने पर रहा। नीति अायोग की ‘आदिवासी उप योजना’ काे पूरी तरह से क्रियान्वित करने के लिये सरकार ने विशेष निर्देश जारी किए।
अादिवासी क्षेत्रों में विशेष केन्द्रीय सहायता योजना के तहत कौशल विकास के कार्यक्रम शुरु किये गये हैं। आदिवासी समाज के युवाओं को कार्यालय प्रबंधन, सोलर टेक्नीशियन, इलेक्ट्रीशियन, ब्यूटीशियन, प्लम्बर, मिस्त्री, फिटर, वेल्डर, बढई, फ्रिज, एसी एवं मोबाइल ठीक करने,पोषण, आयुर्वेदिक एवं वन-औषधि, आईटी, डाटा एंट्री, कपड़ा, नर्सिंग, सुरक्षा गार्ड, गृहप्रबंधन, खुदरा कारोबार,आतिथ्य सत्कार और पर्यटन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
सरकार ने आदिवासी समाज को आर्थिक रुप से सशक्त करने की जिम्मेदारी ट्राईफेड को सौंपी है। ट्राईफेड ने अादिवासी समुदाय के उत्पादों की बिक्री बढ़ाने की योजना तैयार की है। हस्तनिर्मित उत्पादों को बेचने के लिए आउटलेट खोले जा रहे हैं। देशभर में 42 खुदरा आउटलेट खोले गए हैं जिसमें से 29 ट्राईफेड के अपने हैं और 13 आउटलेट राजस्तरीय संगठनों के सहयोग से चलाए जा रहे हैं। इन आउटलेटों में जनजातीय धातु-शिल्प, कपड़े, जनजातीय आभूषण, जनजातीय चित्रकारी, बेंत और बांस के उत्पाद, टेराकोटा और पत्थर के बर्तन, जैविक और प्राकृतिक खाद्य उत्पाद उपलब्ध हैं।
बाजार तक पहुंच बढ़ाने के लिए ट्राईफेड ने आउटलेट के जरिये बिक्री योजना प्रमुख रूप से शामिल किया है। इसके तहत ट्राईफेड फ्रेंचाइजी जरूरत के मुताबिक माल देगा और फ्रेंचाइजी ट्राईफेड द्वारा तय किए गए खुदरा मूल्य पर उत्पादों को बेचेगा।
समस्त उत्पादों पर ‘ट्राइबल क्राफ्ट मार्क’ के रूप में होलोग्राम लगाए जायेंगे। इसी तरह ‘युवा उद्यमी विकास कार्यक्रम’ के जरिये बिक्री को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके तहत युवा ‘सेल्स-ब्वॉय और गर्ल्स’ के जरिये इन उत्पादों को घर-घर बेचा जाएगा। ई-व्यापार प्लेटफार्मों के जरिये भी जनजातीय उत्पादों को बेचने की योजना बनाई गई है।
आदिवासी उत्पादों की बिक्री के लिए मोबाइल वैन भी लगाई जायेंगी, ताकि घर-घर जाकर उन्हें बेचा जा सके। इसके अलावा त्योहारों के दौरान जनजातीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें छूट पर उपलब्ध कराया जाएगा। सरकार ने लघु वनाेपज का समर्थन मूल्य घोषित करने के अलावा कुछ के मूल्य भी बढ़ाए हैं। इनमें साल के बीज, साल की पत्तियाँ, बीज के साथ चिरौंजी पौध, रंगीन लाख और कुसुमी लाख जैसे पांच उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिये गये हैं।
आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में आदिवासी मंत्रालय के लिए वार्षिक बजट 4827 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 5329 करोड़ रुपए कर दिया गया।
इसके अलावा सभी मंत्रालयों में आदिवासी कल्याण के लिए बजट 24,005 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 31,920 करोड़ रुपए हो गया। सरकार अभी तक इस राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा अादिवासी कल्याण की योजनाओं पर खर्च कर चुकी है। यह धनराशि शिक्षा, स्वास्थ्य. कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास , बिजली, रोजगार उत्पादन, कौशल विकास और आय बढ़ाने पर व्यय की गयी है।
सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के लिए एकलव्य विद्यालय योजना के तहत बीते वर्ष में 14 विद्यालयों को मंजूरी देते हुए 322.10 कराेड़ रुपए जारी किए। देश में 51 एकलव्य विद्यालय बन चुके हैं और 271 ऐसे स्कूलों की मंजूरी दी जा चुकी है।
सत्या आशा
वार्ता