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त्रिवेन्द्र ने दी क्रिसमस की बधाई, वाजपेयी, गढ़वाली और स्वामी को दी श्रद्वाजंलि

त्रिवेन्द्र ने दी क्रिसमस की बधाई, वाजपेयी, गढ़वाली और स्वामी को दी श्रद्वाजंलि

देहरादून, 24 दिसंबर (वार्ता) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरुवार को क्रिसमस की पूर्व संध्या पर सभी प्रदेशवासियों, विशेषकर ईसाई समुदाय के लोगों को शुभकामनाएं दी है और साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी और पेशावर कांड के नायक वीर चन्द्र सिंह ‘गढ़वाली’ को उनकी जयंती याद किया, इसके अतिरिक्त स्वामी सुंदरानंद के ब्रह्मलीन होने पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि श्री वाजपेयी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप मे मनाया जा रहा है। श्रद्धेय वाजपेयी जी ने ही दशकों से चले आ रहे उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के संघर्ष का सम्मान करते हुए अलग राज्य का सपना साकार किया था। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति पर चलते हुए सुशासन के लिए अनेक महत्वपूर्ण पहल की हैं। उन्होंने आगे कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी सुशासन के लिए ईमानदारी से किये गये हमारे प्रयासों से शासन-प्रशासन की कार्यसंस्कृति में गुणात्मक सुधार हुआ है।

वीर चन्द्र सिंह ‘‘गढ़वाली‘‘ को पेशावर कांड का महानायक बताते हुए श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि उन्होंने आन्दोलनरत निहत्थी जनता पर गोली न चलाने का आदेश देकर महान देशभक्ति का परिचय दिया था। जो भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आन्दोलन में यह घटना ‘मील का पत्थर’ साबित हुई, जिसने भविष्य के लिए एक क्रांतिकारी आधारशिला रखी।

मुख्यमंत्री ने क्रिसमस के अवसर पर सभी प्रदेशवासियों विशेषकर ईसाई समुदाय के लोगों को शुभकामनाएं देते हुये अपने संदेश में कहा है कि आधुनिक समाज में नैतिक मूल्यों, विश्व शांति और मानव जीवन की गरिमा की स्थापना के लिये प्रभु ईसा मसीह के पवित्र वचनों की सार्वभौमिक प्रासंगिकता है। क्रिसमस का यह पर्व हमें ईसा मसीह के सिद्धान्तों एवं उनकी शिक्षाओं की याद दिलाता है, जिन्होंने समाज में समरसता, समभाव, प्रेम एवं शान्ति के लिए कार्य कर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने स्वामी सुंदरानंद जी के ब्रह्मलीन होने पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि परम पूज्य स्वामी सुंदरानंद जी सच्चे मायनों में हिमालय के योगी थे। उन्होंने हिमालय की दिव्यता, पवित्रता और सुंदरता को अपने कैमरे के माध्यम से दुनिया के सामने रखा। उनके द्वारा स्थापित गंगोत्री स्थित तपोवनम हिरण्यगर्भ आर्ट गैलेरी और पुस्तक ‘हिमालय : थ्रू ए लेंस ऑफ ए साधु’ विश्व को एक अनुपम देन है। उनका पूरा जीवन हिमालय के लिए समर्पित रहा। वे हम सभी के लिये सदैव प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे।

सं. उप्रेती

वार्ता

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