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‘उड़ान’ ने बदला विमानन क्षेत्र का परिदृश्य

‘उड़ान’ ने बदला विमानन क्षेत्र का परिदृश्य

नयी दिल्ली 02 जनवरी (वार्ता) देश के विमानन क्षेत्र के लिए बीता साल घटनाओं और नीतिगत निर्णयों से भरा रहा। सी-प्लेन तथा ड्रोन को लेकर सरकार की सक्रियता से जहाँ इस क्षेत्र के लिए नये आयाम खुले, वहीं लगातार तीसरे साल दहाई अंक की वृद्धि दर दर्ज करने वाला विमानन क्षेत्र कुछ अवांछित घटनाओं के कारण भी चर्चा में रहा जिसके कारण सरकार को ‘नो फ्लाई सूची’ बनाने पर बाध्य होना पड़ा।

इन सबके बीच बीता साल सरकार की सस्ते हवाई किराये वाली क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) यानी ‘उड़ान’ के लिए सबसे ज्यादा याद किया जायेगा जिसने पूरे क्षेत्र के परिदृश्य को बदलकर रख दिया। ‘उड़ान’ के पहले चरण की बोली प्रक्रिया वर्ष 2016 के अंत में शुरू की गयी थी और गत वर्ष मार्च में पूरी हुई। पाँच एयरलाइंस को 128 रूटों का आवंटन किया गया। योजना के तहत जिन हवाई अड्डों से परिचालन शुरू होने हैं उनमें 31 तो ऐसे शहरों में हैं जहाँ से अब तक कोई नियमित विमान सेवा नहीं थी। इनमें 14 पर सेवा शुरू हो चुकी है।

‘उड़ान’ का उद्देश्य ही प्रति सप्ताह 14 से कम उड़ानों वाले छोटे तथा मझौले शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ना है। योजना के तहत सरकार ने दूरी के हिसाब से अधिकतम हवाई किराया तय कर दिया है जिससे ‘उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) का सपना साकार हो सके। पाँच सौ किलोमीटर की दूरी के लिए अधिकतम किराया 2,500 रुपये तय किया गया है। कम किराये के कारण विमान सेवा कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वॉयेबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के रूप में सरकार क्षतिपूर्ति देती है। साथ ही योजना में शामिल होने वाले राज्यों के लिए भी आरसीएस की उड़ानों के लिए विमान ईंधन पर मूल्य वर्द्धित कर (वैट) घटाकर अधिकतम एक प्रतिशत करना जरूरी है। सुरक्षा और बिजली तथा अग्निशमन सुविधाएँ भी राज्य सरकारें नि:शुल्क दे रही हैं जबकि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने हवाई अड्डा शुल्क माफ कर दिया है।

‘उड़ान’ के दूसरे चरण के लिए बोली प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तथा जनवरी के आरंभ में रूटों के आवंटन की उम्मीद है।

इसके तहत भी 49 नये हवाई अड्डों से परिचालन शुरू करने के प्रस्ताव आये हैं, हालाँकि वीजीएफ के लिए कोष की

कमी के मद्देनजर एक साथ सभी रूटों का आवंटन नहीं किया जायेगा। गत वर्ष के आरंभ में जहाँ देश में नियमित

विमान सेवा वाले हवाई अड्डों की संख्या करीब 75 थी, उड़ान के पहले दो चरणों में ही इसके बढ़कर 150 से अधिक हो

जाने की उम्मीद है।

सरकार ने नवंबर में ड्रोनों के नागरिक इस्तेमाल के लिए भी प्रारूप नियम जारी कर दिये। जनवरी में इन नियमों का अंतिम स्वरूप तय हो जाने की उम्मीद है। इससे होम डिलिवरी, फोटोग्राफी, सर्वेक्षण आदि उद्देश्यों के लिए ड्रोनों के इस्तेमाल का रास्ता खुल जायेगा। सरकार ‘उड़ान’ के तहत पानी और जमीन दोनों पर उतरने और वहाँ से उड़ान भरने में सक्षम सी-प्लेन के नियमित परिचालन पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। साथ ही नागर विमानन महानिदेशालय की एक समिति एक इंजन वाले विमानों तथा हेलिकॉप्टरों के परिचालन की संभावना की समीक्षा कर रही है।

एयर इंडिया के एक 60 वर्षीय कर्मचारी की शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड द्वारा चप्पलों से पीटे जाने की घटना भी गत वर्ष चर्चा में रही। इसके बाद सरकार ने ‘नो फ्लाई सूची’ बनाने का फैसला किया जिससे इस तरह का दुर्व्यवहार करने वाले यात्रियों की विमान यात्रा प्रतिबंधित करने का रास्ता खुल सके। इस नियम को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इसके तहत दुर्व्यवहार की श्रेणी के हिसाब से यात्री पर आजीवन तक का प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

विमान ईंधन की कीमतों में गिरावट और उड़ानों की बढ़ती संख्या के कारण हवाई टिकटों के दाम तुलनात्मक रूप से गत वर्ष भी कम बने रहे। इससे लगातार तीसरे साल हवाई यात्रियों की संख्या दहाई अंक में बढ़ी। वर्ष 2015 में घरेलू मार्गों पर यात्रियों की संख्या 20.34 प्रतिशत और 2016 में 23.18 प्रतिशत बढ़ी थी। वर्ष 2017 के पहले 11 महीने में यह संख्या 17 प्रतिशत बढ़कर 10 करोड़ 59 लाख के पार पहुँच चुकी है। यह पहली बार है जब एक कैलेंडर वर्ष में यात्रियों की संख्या 10 करोड़ के पार पहुँची है। वर्ष 2016 में यह संख्या नौ करोड़ 98 लाख 88 हजार रही थी।

सरकार ने 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज में डूबी सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया में विनिवेश को भी गत वर्ष मंजूरी दे दी। उसने स्पष्ट किया है कि विनिवेश के लिए एयर इंडिया की अंतरराष्ट्रीय और घरेलू सेवाएँ अलग नहीं की जायेंगी। इससे इसके लिए खरीददार मिलना थोड़ा मुश्किल होगा। एयरलाइन के पास विदेशों में बड़े हवाई अड्डों पर जो स्लॉट हैं वे खरीददारों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण हैं और इस कारण हिस्सेदारी खरीदने वाले को इसका अंतरराष्ट्रीय परिचालन ज्यादा लुभा रहा है। देश की सबसे बड़ी विमान सेवा कंपनी इंडिगो ने भी एयर इंडिया के अंतरराष्ट्रीय परिचालन को खरीदने में रुचि दिखाई है, लेकिन वह घरेलू परिचालन नहीं खरीदना चाहती। सरकार ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि विनिवेश में कितनी हिस्सेदारी बेची जायेगी।

सार्वजनिक क्षेत्र की हेलिकॉप्टर सेवा कंपनी पवनहंस लिमिटेड में सरकार 51 प्रतिशत की अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया भी शुरू कर चुकी है। इस मामले में अभिरुचि के आवेदन मँवाये जा चुके हैं तथा 2018 में विनिवेश प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। पवनहंस में शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी ओएनजीसी की है। वर्ष 2017 निजी क्षेत्र के दो बड़े विमानन सौदों के लिए भी जाना जायेगा। साल के पहले महीने में ही किफायती विमान सेवा कंपनी स्पाइसजेट ने बोइंग से 205 विमान खरीदने का सौदा किया। इसका मूल्य 22 अरब डॉलर (तकरीबन डेढ़ लाख करोड़ रुपये) है और यह भारतीय विमानन क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा सौदा है।

इंडिगो ने भी छोटे तथा मझौले शहरों में नेटवर्क विस्तार तथा ‘उड़ान’ के तहत परिचालन के लिए 50 एटीआर72-600 विमानों का ऑर्डर दिया है। इनकी डिलिवरी शुरू हो चुकी है और इंडिगो ने पहले एटीआर विमान का परिचालन भी शुरू कर दिया है।

आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत विमानन उद्योग के लिए चिंता का विषय हो सकती है। इसके कारण विमान सेवा कंपनियों का ईंधन के मद में होने वाला खर्च बढ़ रहा है। गत वर्ष भी इस खर्च में बढ़ोतरी हुई है जिससे कंपनियों पर दबाव है। इसलिए, वे मुनाफा कमाने के लिए सहायक करोबार और अन्य सुविधाओं के शुल्क से होने वाली आय बढ़ाने की नीति अपना रही हैं।

अजीत आशा

वार्ता

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