चंडीगढ़, 11 दिसम्बर(वार्ता) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य के किसानों के खेतों तक रास्ते बनाने के लिये ‘मुख्यमंत्री किसान खेल सड़क मार्ग‘ योजना की घोषणा की है जिसके तहत
खेतों तक तीन और चार करम के सभी रास्तों पर आगामी पांच वर्षों के दौरान खड़ंजे का बनाए जाएंगे।
राज्य सरकार की इस योजना को ग्रामीण विकास विभाग अमलीजामा पहनाएगा। पांच वर्षों में चरणबद्ध ढंग से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 500 किलोमीटर रास्तों को खड़ंजों से पक्का किया जाएगा। प्रथम चरण में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 25 किलोमीटर तक खड़ंजे बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने इसके अलावा किसानों को कृषि योग्य भूमि के वर्ष में दो बार पंजीकरण की सुविधा देने का भी ऐलान किया है ताकि किसानों को फसल बुआई से लेकर मंडी में इसकी बिक्री तक सहायता प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि किसान अपनी बोई गई फसल का नाम और क्षेत्र जैसे विवरण ग्राम स्तर पर स्थापित सांझा सेवा केंद्रों में दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से विभिन्न मानकों पर किसानों की मदद हो सकेगी, जिसमें खरीद, मुआवजा, बीमा और बैंक ऋण इत्यादि शामिल हैं। किसानों द्वारा भूमि का पंजीकरण कराने के बाद कृषि एवं किसान कल्याण विभाग इसकी जांच करेगा और गांव के पटवारी द्वारा इसे सत्यापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों की भूमि का पंजीकरण चाहे उस भूमि पर फसल की बुआई हुई हो या खाली पड़ी हो दो स्थिति में हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों की आय दुगुनी करने के लिये प्रयासरत है और वह चाहती है कि किसानों को फसल विविधिकरण , वैज्ञानिक और आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से प्रति एकड़ कम से कम एक लाख रुपये की आमदनी हो सके। उन्होंने किसानों के वित्तीय प्रबन्धन हेतु भी एक तंत्र विकसित करने पर बल दिया ताकि वे अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए धनराशि का उपयुक्त इस्तेमाल कर सकें। कृषि को एक व्यवसाय की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विपणन की प्रणाली विकसित की जा रही है ताकि किसानों के खर्चे हों और आमदनी बढ़े। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से जैविक (आर्गेनिक) उत्पादों के प्रमाणीकरण की दिशा में काम करने का आहवान किया। इससे न केवल उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि जैविक उत्पादों की बिक्री भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि एक या दो एकड़ की भूमि जोत वाले सीमांत किसानों की भी अतिरिक्त आय सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की भूमि जोत दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है और सहकारी कृषि जैसी प्रणाली किसानों की आय बढ़ाने में लाभकारी सिद्ध हो सकती है।
किसानों को परम्परागत खेती के बजाय सब्जी, फल-फूल और औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री खट्टर ने कहा कि सरकार दिल्ली और उसके आसपास के गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा जैसे क्षेत्रों की लगभग चार करोड़ जनसंख्या के लिये दूध, फल-फूल और अंडों जैसी आवश्यक वस्तुओं की मांग पूरी करने तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए पैरी-अर्बन खेती की परिकल्पना पर भी विशेष बल दे रही है। उन्होंने कहा कि पानी बचाने के लिए राज्य के किसानों को ‘फ्लड इरीगेशन’ न करने और सूक्ष्म सिंचाई को अपनाने पर जोर दिया जिससे न केवल सिंचाई लागत कम होगी बल्कि पानी की कम उपलब्धता वाले क्षेत्रों में पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा। उन्होंने बताया कि सरकार बिजली बचाने के लिए सौर ऊर्जा पंपों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। इसी तरह, जल भंडारण और जल रिचार्जिंग पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है ताकि आवश्यकतानुसार सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से पानी का उपयोग किया जा सके।