नयी दिल्ली,25 अक्टूबर(वार्ता) केन्द्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि देश में इस्पात अनुसंधान के क्षेत्र में एक उत्कृष्टता केन्द्र भी होना चाहिए ताकि गुणवत्ता वाले स्टील के उत्पादन को और बढ़ाया जा सके तथा एक राष्ट्र के रूप में आयात पर निर्भरता कम हो सके।
उन्होंने सोमवार को कहा “ हमें इस्पात में अपने अनुसंधान एवं विकास को विकसित और मजबूत करने की आवश्यकता है। विश्व प्रसिद्ध अनुसंधान एवं विकास संस्थान और विशिष्टता वाले इस्पात के विकास में अग्रणी आईपी बार्डिन इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। हमें इस उत्पादन आधारित प्रोत्साहन(पीएलआई) योजना को सफल बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।” उन्होंने इस्पात उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के महत्व पर भी जोर दिया।
गौरतलब है कि इस्पात मंत्रालय ने विशिष्टता वाले इस्पात के लिए पीएलआई योजना पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आज यहां आयोजन किया। संगोष्ठी का उद्देश्य पीएलआई योजना की प्रमुख विशेषताओं पर विचार करने के लिए हितधारकों को एक मंच प्रदान करना, अवसरों का लाभ उठाना और उन चुनौतियों का समाधान करना था। संगोष्ठी का आयोजन मेकॉन लिमिटेड, फिक्की और इन्वेस्ट इंडिया के साथ मिलकर किया गया था। श्री सिंह ने सेमिनार की अध्यक्षता की और इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने इस अवसर पर विशेष भाषण दिया। इस अवसर पर इस्पात मंत्रालय में सचिव प्रदीप कुमार त्रिपाठी और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
श्री सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में प्रगतिशील कदम उठाने के कारण भारत में इस्पात की मांग में कभी कमी नहीं आई है। पीएलआई की परिकल्पना एक ऐसा कदम है, जिसमें हम आयात पर अपनी निर्भरता को कम कर आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ सकते हैं।
इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि सरकार का उद्देश्य ‘मेक इन इंडिया- आत्मनिर्भर भारत’ है। यह योजना विशिष्ट इस्पात में उत्पादन को बढ़ावा देगी जिससे रोजगार सृजन होगा। इस पहल से सेकेंडरी इस्पात निर्माता और एमएसएमई क्षेत्र को भी फायदा होगा।
इस्पात मंत्रालय में सचिव, प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने कहा कि इस योजना को विकसित करने में इस्पात उद्योग में अग्रणी कम्पनियां और सरकारी एजेंसियां शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महामारी आने से पहले हमने 2019-20 में 109 टन स्टील का उत्पादन किया। “हम इस योजना के माध्यम से अगले 5 वर्षों में विशेष स्टील के उत्पादन को 18 टन से बढ़ाकर 42 टन करने की उम्मीद करते हैं। हमारा उद्देश्य इस्पात क्षेत्र की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना है।
जितेन्द्र
वार्ता