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मानव मूल्य आधारित पत्रकारिता का विश्वविद्यालय करें दिशा दर्शन-टंडन

मानव मूल्य आधारित पत्रकारिता का विश्वविद्यालय करें दिशा दर्शन-टंडन

भोपाल, 30 मई (वार्ता) मध्यप्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन ने कहा है कि भारतीय पत्रकारिता के इतिहास की विरासत और वैचारिक प्रतिबद्धता से प्रेरणा लेकर आज की आवश्यकताओं के अनुरूप पत्रकारिता का दिशा दर्शन समय की आवश्यकता है।

श्री टंडन आज राजभवन से हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सात दिन-सात व्याख्यान के शिक्षा, पत्रकारिता और जीवन मूल्य विषय पर आयोजित ऑन लाइन शुभारम्भ सत्र को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता मानव मूल्यों के आधार पर समाज के वंचित वर्ग के कल्याण और राष्ट्र की सुरक्षा पर चिंतन है। पत्रकारिता विश्वविद्यालय को इस दिशा में संकल्पित होकर प्रयास करना होगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति संजय द्विवेदी भी मौजूद थे।

उन्होंने कहा कि भारत में मिशन के रूप में पत्रकारिता का शुभारंभ हुआ था। इसका आधार भावनाओं को जनमानस तक पहुँचाने का प्रयास था। देश की गुलामी के विरोध में जो भावनाएँ बनी थी। उनको प्रसारित करना था। पत्रकारों ने इसके लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियाँ दीं। उन्होंने बताया कि समाज का ज्ञान और उसकी समस्याओं के प्रति विचार और चिंतन जब लेखनीबद्ध होता था तो वह ज्वाला बन जाता है। स्वतंत्रता संग्राम की ऐसी पत्रकारिता में बाल गंगाधर तिलक, गणेश शंकर विद्यार्थी माखनलाल चतुर्वेदी आदि नामों की एक लंबी श्रृंखला है। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए विभिन्न स्वनाम धन्य पत्रकारों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के संस्थापकों में बाबू गंगा प्रसाद वर्मा जिन्होंने हिन्दीं, अंग्रेजी और उर्दू में छोटे-छोटे अखबारों से जन जागृति की मिसाल कायम की।

उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय का स्मरण करते हुये कहा कि वे अखबार से जुड़े सभी कार्य स्वयं करते थे। स्वयं लिखते, एडिट और कम्पोज करते थे। मशीन चलाने के लिए मात्र एक सहायक था। उसकी अनुपस्थिति में स्वयं मशीन चलाते थे। मशीन चलाते हुए कई बार बेहोश तक हो जाते थे। उनकी पत्रकारिता में विचारों के प्रति प्रतिबद्धता, संकल्प और समर्पण का ही सुफल है कि आज विकास का मॉडल अन्त्योदय उन्हीं की अवधारणा है।

उन्होंने स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुये कहा कि उन्होंने कई अखबारों का सम्पादन किया। वह प्रधानमंत्री के पद तक पहुँचे। वे साहित्यिक समाज में एकमात्र कवि थे जिनका सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक चिंतन था। अखबार का अग्रलेख हो अथवा कविता की पंक्तियाँ उन्हें सारे समूह से अलग खड़ा कर देती थी। पत्रकारिता से प्रारम्भ कर अनेक ख्यातनाम व्यक्ति बड़े-बड़े पदों पर पहुँचे हैं। पत्रकारिता सामाजिक, साहित्यिक, राजनैतिक जीवन में प्रवेश का स्त्रोत भी है। उसकी वैचारिक समृद्धता का संग्रह भी है। उन्होंने कहा कि सफल पत्रकारिता के लिए इन प्रेरणा प्रतीकों के आत्मबल, प्रतिबद्धता और सामाजिक सरोकारों के प्रति निष्पक्षता के गुणों से युवा पीढ़ी को प्रेरणा ली जानी चाहिए।

विश्वकर्मा

वार्ता

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