भारतPosted at: Sep 22 2018 6:49PM ओलांद के बयान पर बेवजह विवाद पैदा किया जा रहा है: रक्षा मंत्रालय
नयी दिल्ली 22 सितम्बर (वार्ता) राफेल विमान सौदे के बारे में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद के बयान के बाद ऑफसेट समझौते पर एक बार फिर सफाई देते हुए सरकार ने कहा है कि इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है और इस मामले में बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है।
श्री ओलांद के शुक्रवार को फ्रांसीसी मीडिया में आये साक्षात्कार में कहा गया है कि राफेल सौदे के ऑफसेट समझौते में रिलायंस डिफेंस इन्डस्ट्रीज को साझेदार बनाने का प्रस्ताव भारत का था और विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन के पास रिलायंस के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि ऑफसेट समझौते में उसने किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया है और श्री ओलांद के बयान से संबंधित रिपोर्ट की सच्चाई का पता लगाया जा रहा है।
काग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा शनिवार को इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर करारा निशाना साधे जाने के बाद रक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर दोहराया कि आॅफसेट समझौते में भारतीय साझेदार चुनने में सरकार की कोई भूमिका नहीं रही और यह विमान निर्माता फ्रांसीसी कंपनी का ही निर्णय है।
मंत्रालय ने कहा कि मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि रिलायंस डिफेंस और डसाल्ट एविएशन के बीच संयुक्त उपक्रम गत वर्ष फरवरी में अस्तित्व में आया। यह दो निजी कंपनियों के बीच वाणिज्यिक व्यवस्था होती है। संयोग से फरवरी 2012 में आई मीडिया रिपोर्ट इस बात का संकेेत देती हैं कि संयुक्त प्रगितशील गठबंधन सरकार के समय 126 बहुउद्देशीय विमानों की खरीद की प्रतिस्पर्धा में जैसे ही राफेल सबसे कम कीमत वाला विमान चुना गया उसके दो सप्ताह के भीतर ही डसाल्ट एविएशन ने रिलायंस इन्डस्ट्रीज के साथ रक्षा क्षेत्र में साझेदारी की थी।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि श्री ओलांद के बयान को लेकर बेवजह का विवाद खड़ा किया जा रहा है। इस बयान को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखे जाने की जरूरत है , फ्रांसीसी मीडिया ने पूर्व राष्ट्रपति से संबंधित लोगों के हिताें के टकराव का मुद्दा भी उठाया है। उसके बाद आये वक्तव्य भी इस संबंध में प्रासंगिक हैं। सरकार पहले भी कह चुकी है और दोहरा रही है कि रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट साझेदार चुने जाने में उसकी कोई भूमिका नहीं है।
संजीव उनियाल
जारी वार्ता