नैनीताल, 10 जनवरी (वार्ता) उत्तराखंड में नगर निकाय चुनावों पर संकट टल गया है। उच्च न्यायालय ने देर तक चली सुनवाई में शुक्रवार को चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। साथ ही सरकार और चुनाव आयोग से तीन मार्च तक विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है।
प्रदेश की धारचूला, अल्मोड़ा, शक्तिगढ़, द्वाराहाट, गुप्तकाशी, महुआ डाबरा, उत्तरकाशी के साथ ही हल्द्वानी और देहरादून नगर निगमों के महापौर पदों के आरक्षण को भी याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में आज मैराथन सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उपरोक्त निकायों में सरकार की ओर से ग़लत आरक्षण तय किया गया है। हल्द्वानी और देहरादून नगर निगम के मेयर पदों पर पिछले कई बार से आरक्षण प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है और ये पद अनारक्षित चले आ रहे हैं जबकि अल्मोड़ा नगर निगम सीट पर पहली बार ही ग़लत ढंग से आरक्षण तय किया गया है।
इसी प्रकार धारचूला, द्वाराहाट, गुप्तकाशी, महुआ डाबरा निकायों पर भी नियमों के विपरीत आरक्षण सुनिश्चित किया गया है। यह भी आरोप लगाया गया कि सरकार ने किच्छा और नरेंद्र नगर नगर पालिका को चुनाव प्रक्रिया से अलग कर दिया है। यह ग़लत है।
सरकार और चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। हालांकि याचिकाकर्ताओं की ओर से लद्दाख विकास स्वायत्त परिषद का हवाला देते हुए कहा गया कि कोर्ट ने वहां चुनाव अधिसूचना को खारिज कर दिया था।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि ऐसे मामलों को चुनाव याचिका के माध्यम से चुनौती दी जानी चाहिए। आज चली मैराथन सुनवाई के बाद अदालत ने चुनाव में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए सरकार और चुनाव आयोग से तीन मार्च तक विस्तृत जवाब देने को कहा है।
यहां बता दें कि निर्वाचन आयोग ने विगत 23 दिसंबर को एक अधिसूचना जारी कर प्रदेश के 11 नगर निगमों, 43 नगर पालिकाओं और 46 नगर पंचायतों के लिये चुनाव घोषित कर दिए हैं। नामांकन के बाद चुनाव प्रक्रिया जारी है। आगामी 23 जनवरी को मतदान होगा जबकि 25 जनवरी को मतगणना निर्धारित की गई है।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता