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उत्तरकाशी सुरंग दुर्घटना लापरवाही का परिणाम

उत्तरकाशी सुरंग दुर्घटना लापरवाही का परिणाम

नयी दिल्ली 22 नंवबर (वार्ता) भारतीय निर्माण कामगार महासंघ (सीडब्ल्यूएफआई) ने उत्तरकाशी सुरंग दुर्घटना को पूंजीवादी प्रवृत्ति और प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम करार देेते हुए कहा कि सुरंग के काम के विभिन्न चरणों में किसी भी स्तर पर ढिलाई की गहन जांच होनी चाहिए और दुर्घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए।

महासंघ के महासचिव यू पी जोसेफ ने बुधवार को कहा कि उत्तरकाशी जिले में सिल्क्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों का फंसना श्रमिकों की व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति सरकारों की आपराधिक लापरवाही को उजागर करता है।

उन्होंने कहा कि यह मानव निर्मित विनाशकारी दुर्घटना नव उदारवादी भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के अमानवीय लाभ के भूखे ‘विकास’ मॉडल और नीतियों का परिणाम है। रिपोर्टों और विशेषज्ञों के बयानों के अनुसार, इतनी बड़ी निर्माण परियोजनाओं में जहां सैकड़ों श्रमिक काम करते थे और दिन-रात काम करते थे, वहां बचाव के मार्गों सहित कोई भी सुरक्षा उपाय आवश्यक नहीं थे। इसमें और ऐसे कई मामले पहले भी हुए हैं, खासकर हिमालयी क्षेत्र में, बड़ी निजी निर्माण कंपनियां श्रमिकों के जीवन को खतरे में डालकर भूवैज्ञानिकों के निर्देशों की पूरी तरह से उपेक्षा करती हैं। सुरंग बनाने के नए तरीकों और प्रौद्योगिकियों का प्रयास नहीं किया गया है। प्रशासन सुरक्षा निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने में विफल रहा है।

श्री जोसेफ ने कहा कि सरकारों की समय पर कार्रवाई और बचाव कार्यों के समन्वय में ढिलाई दिखाई दे रही है। विरोध प्रदर्शन के बाद ही सीटू प्रतिनिधिमंडल को कार्य स्थल पर अन्य श्रमिकों से मिलने की अनुमति दी गई। मजदूरों ने शिकायत की कि पहले हुए हादसों के बाद जो ‘ह्यूम पाइप’ लगाए गए थे, उन्हें भी सुरंग में काम पूरा होने से पहले ही हटा दिया गया था। उन्होंने कहा कि निजी निर्माण कंपनी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि परिस्थिति के अनुरुप से नाजुक क्षेत्र में सुरंग के काम के विभिन्न चरणों में किसी भी स्तर पर ढिलाई की गहन जांच होनी चाहिए और दुर्घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए। श्रमिकों के परिवारों को हरसंभव सहायता दी जानी चाहिए।

श्रमिक नेता ने कहा कि व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य संहिता को तुरंत वापस लेना चाहिए। सरकार को निर्माण श्रमिकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए।

सत्या.संजय

वार्ता

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