जयपुर, 06 जुलाई (वार्ता) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि वाइब्रेंट डेमोक्रेसी यानी जीवंत लोकतंत्र भारत की मुख्य ताकत है। चीन भारत का मुकाबला नहीं कर सकता है।
श्री मिश्र आज राजभवन से वीडियो कान्फ्रेन्स के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इस व्याख्यान का आयोजन उत्तर प्रदेश के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने अपने फेसबुक पेज पर किया। उन्होंने कहा कि जो उद्यमी और निर्माता लोकतंत्र, मानवाधिकार और बाल शोषण के उन्मूलन को महत्व देते हैं, वे साम्यवादी चीन के स्थान पर भारत के साथ डील करना चाहेंगे।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बाद की दुनिया में एक बार फिर भारत को नई शुरुआत करनी होगी, जिसके लिए कई छोटे और मध्यम उद्यमियों को सरकारी प्रोत्साहन की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान वर्तमान में कोविड-19 के बाद की एक मूल अवधारणा है। यह एक महत्वकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य सिर्फ कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों से ही लड़ना नहीं है, बल्कि भविष्य के भारत का पुनर्निर्माण करना भी है।
श्री मिश्र ने कहा कि कोविड-19 के बाद भारत को एक नई प्राणशक्ति और नई संकल्पशक्ति के साथ आगे बढ़ते हुए विश्वमहाशक्ति बनना है। उन्होंने कहा कि भारत में स्वदेशी एक विचार के रूप में देखा जाता है, जो भारत की संरक्षणवादी अर्थव्यवस्था का आर्थिक मॉडल रहा है। राष्ट्र इस विचार की वकालत भी करता रहा है। आत्मनिर्भर भारत बनाने में स्वदेशी का विचार अत्यधिक उपयोगी है। खादी ग्राम उद्योग के उत्पादों की बढती मांग इसका उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि भारत की आत्म-निर्भरता का मतलब दुनिया से कनेक्शन तोड़ लेना नहीं है। वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के ऐसे दौर में, जब अमरीका के स्टॉक मार्केट की हर एक हलचल चीन और भारत के बाजारों पर सीधा असर डालती है, उस वक्त स्थानीय उत्पादों का उत्पादन करने और उन्हें प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने के लिए स्थानीय उद्यमियों और निर्माताओं को कुछ सुरक्षा राशि भी देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत के लिए आत्मनिर्भरता ना तो बहिष्करण है और ना ही अलगाववादी रवैया। श्री मिश्र ने कहा कि जोर इस बात पर है कि दक्षता में सुधार किया जाये। इसके अलावा दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए दुनिया की मदद की जाये। कोरोना महामारी के बाद आर्थिक राष्ट्रवाद का रूप पूरी दुनिया में आ सकता है।
रामसिंह
वार्ता