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लोकरुचि


वॉयलिन की धुन और शास्त्रीय गायन से निकली संगीत की रस धार

वॉयलिन की धुन और शास्त्रीय गायन से निकली संगीत की रस धार

उदयपुर 25 फरवरी (वार्ता)राजस्थन के उदयपुर में अखिल भारतीय 55वां वार्षिक महाराणा कुंभा संगीत समारोह में मुंबई के मशहूर वॉयलिन वादक दीपक पंडित के वॉयलिन से निकले सुर ने सुरों की सरिता बहा दी जिससे श्रोता गदगद हो गये। महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में कल रात्रि आयोजित कार्यक्रम में पं. दीपक ने कार्यक्रम की शुरूआत राग चारूकेशी से की। मध्य लय की एक ताल में प्रस्तुत की गई राग चारूकेशी ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वॉयलिन की धुन का श्रोताओं ने खूब आनन्द लिया। श्रोता उसी में खो से गये। उनके साथ तबले पर संगत उनके बड़े भाई हीरा पण्डित ने की। तबले एवं वॉयलिन की जुगलबन्दी से श्रोता समारोह में खो से गये। इसके बाद उन्होंने राग माला गायी जिस सुन श्रोता आनन्दविभोर हो गये। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में कोलकाता की कौशिकी चक्रवर्ती ने शास्त्रीय गायन में अपनी छाप छोड़ी। उन्होेंने सुरमण्डल के साथ जब राग रागेश्वरी से अपने कार्यक्रम की शुरूआत की तो श्रोता उनके कण्ठ में बिराजमान सरस्वती को सुनते ही रह गये। उनके साथ तबले पर ओजस,हारमोनियम पर पारोमिता मुखर्जी, तानपुरे शुभांगी एवं मेघा दीपा ने संगत की। रामसिंह पारीक रमेश वार्ता

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