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विप्लव ने डीजीपी को दिया सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच का आदेश

विप्लव ने डीजीपी को दिया सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच का आदेश

अगरतला 26 सितंबर (वार्ता) त्रिपुरा में सामूहिक दुष्कर्म मामले में पीड़िता की प्राथमिकी दर्ज करने में देरी और घटना को 24 घंटे से अधिक समय तक दबाए रखने पर मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य के पुलिस महानिदेश को पूरी घटना की जांच का आदेश दिया है।

श्री देव ने पुलिस प्रमुख को इस मामले से जुड़े सभी आरोपों की जांच करने और दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार महिलाओं के खिलाफ अपराध के बारे में जीरो टौलरेंस की नीति के साथ खड़ी है।

उल्लेखनीय है कि मध्यम आयु वर्ग की गृहिणी के साथ 24 सितंबर की रात अगरतला हवाई अड्डे के पास 10 लोगों के समूह ने सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। घटना के समय महिला अपनी बेटी के बारे में एक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद अगरतला सरकारी मेडिकल कॉलेज (एजीएमसी) से लौट रही थी। बारिश होने के कारण सड़क पर कोई वाहन नहीं था। इसलिए महिला ने एक ऑटो रिक्शा चालक प्रदीप दास को घर तक छोड़ने के लिए बुलाया। प्रदीप उसे वापस घर ले जाने के लिए पहुंचा लेकिन प्रदीप महिला को घर ले जाने की बजाय दूसरे रास्ते पर ले जाने लगा और जल्द ही विशाल और अजय नामक दो अन्य लोग भी उसी ऑटो में सवार हो गए तथा महिला का चेहरा कपड़े से बांध दिया। महिला से दुष्कर्म करने के बाद उसे सर्किट हाउस के पास बेहोशी की हालत में वाहन से उतार कर आरोपी फरार हो गये। होश में आने के बाद उसने अपने पति और रिश्तेदारों को बुलाया।

पीड़िता ने बताया कि वह आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए शहर के सभी चार पुलिस थानों में गयी लेकिन सभी ने एफआईआर दर्ज करने से इन्कार कर दिया। यहीं नहीं उसे थानों में अपमानित किया गया। पुलिस ने कथित तौर पर उसकी नैतिकता पर सवाल उठाये और थाना प्रभारी के नहीं होने का हवाला देकर दंपति को अगले दिन महिला पुलिस स्टेशन आने की सलाह दी। इसके बाद महिला के परिजन पीड़िता के साथ इस घटना की शिकायत दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचे, लेकिन पुलिसकर्मी उन्हें एक थाने से दूसरे थाने तक भेजते रहे और उनकी शिकायत दर्ज नहीं की।

पीड़िता के पति ने आरोप लगाया कि पुलिस ने पीड़िता को अस्पताल ले जाने के लिए कोई सुरक्षा मुहैया नहीं करायी। पीड़िता सबसे पहले शिकायत के साथ न्यू कैपिटल कॉम्प्लेक्स थाना गई थी, लेकिन उन्होंने उसे पूर्वी अगरतला स्टेशन पर यह कहते हुए भेज दिया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र के तहत नहीं है। वहां से उसे महिला पुलिस स्टेशन भेजा गया लेकिन कथित तौर पर ड्यूटी अधिकारी ने शिकायत को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया और कहा कि थाना प्रभारी मौजूद नहीं हैं।

पीड़ित ने जब उच्चतम न्यायालय के निर्देश का हवाला दिया, तो ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी ने दंपति के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें परिसर छोड़ जाने के लिए कहा। अंत में वह पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन गई, जहाँ उन्होंने फिर से अधिकार क्षेत्र के बारे में सवाल उठाया, क्योंकि अपराध की घटना का स्थान उनके स्टेशन की सीमा के तहत नहीं आता था और उन्हें एडी नगर थाना जाने की सलाह दी, क्योंकि उसी क्षेत्र के निवासी हैं।

इस बीच अत्यधिक रक्तस्राव के कारण पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी लेकिन पुलिस ने पीड़िता और उसके परिवार की कोई मदद नहीं की। कोई विकल्प नहीं मिलने पर किसी तरह से पीड़िता सुबह-सुबह शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची और भर्ती हो गयी। अस्पताल प्राधिकरण ने जब इस घटना के बारे में पुलिस को सूचना दी, तो पुलिस ने मामला दर्ज किया।

इस घटना के सामने आने के बाद विपक्षी पार्टियों और स्थानीय लोगों ने काफी हंगामा किया। विपक्षी पार्टियों के दबाव के चलते पुलिस ने चार आरोपियों प्रदीप दास (26), विशाल दास (20), प्रियमनिश रॉय (26) और अजय साहा (20) को बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया, लेकिन बाकी आरोपी अभी भी फरार हैं। पुलिस ने आश्वासन दिया कि सभी आरोपियों पर जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।

उधर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की महिला इकाई लोकतांत्रिक महिला मोर्चा ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक ने एक शीर्ष पुलिस अधिकारी को एफआईआर दर्ज करने में देरी करने और इस घटना को गुप्त रखने की सलाह दी थी। महिला मोर्चा ने विधायक और अपराधियों को बचाने वाले पुलिस अधिकारियों को तुरंत गिरफ्तार करने की भी मांग की है।

माकपा महिला इकाई की नेता रमा दास ने कहा,“घटना 24 सितंबर की रात को घटित हुई थी लेकिन अब तक इस घटना की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री का कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। कल (बुधवार को) उन्होंने कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया, लेकिन इस तरह की भयावह घटना के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला। यह भाजपा की अगुवाई वाली सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है।”

उन्होंने कहा कि राज्य में पिछले एक साल में अपराध में कई गुना वृद्धि हुई है और सत्तारूढ़ दल के विधायकों और नेताओं द्वारा अपराधियों को शरण दी जा रही है।

लोकसभा सांसद प्रतिमा भौमिक ने पीड़ित से मुलाकात की और बर्बर कृत्य की कड़ी निंदा की। उन्होंने मुख्यमंत्री से दोषियों की गिरफ्तारी के लिए सभी कदम उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को ऐसी गतिविधियों की इजाजत नहीं देनी चाहिए तथा इसमें शामिल सभी लोगों की जांच सुनिश्चित करनी चाहिए।



संजय, संतोष

वार्ता

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