नयी दिल्ली 31 जुलाई (वार्ता) उर्दू सहित्य के लिए समर्पित विश्व विख्यात रेख़्ता फाउंडेशन ने अब हिंदी भाषा और सहित्य के प्रचार प्रसार के लिए ‘हिंदवी’ नाम से एक वेबसाइट को शुक्रवार को लांच किया जिसमें पिछले 1200 वर्षों की हिंदी कविता को एक डिजिटल प्लेटफार्म पर पेश किया गया है। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने हिंदी के अमर कथा कार मुंशी प्रेमचंद की 140 की जयंती पर इस वेबसाइट को डिजिटल समारोह के जरिये लांच किया।
फेसबुक लाइव के माध्यम से हुए इस समारोह में सुप्रसिद्ध संस्कृति कर्मी एवं लेखक अशोक बाजपाई और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवि राजेश जोशी आदि ने भी भाग लिया ।
आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक की हिंदी कविता से चुने गए 600 कवियों और उनकी 11,000 कविताओं को ‘हिन्दवी’ ने पेश कर एक नया कीर्तिमान बनाया है।
उर्दू शाइरी और अदब के सबसे प्रामाणिक और विशाल ख़ज़ाने के बाद रेख़्ता फ़ाउंडेशन का नया उपक्रम है, जहाँ हिंदी कविता अपने सारे कालो आंदोलनों और विमर्शों के साथ मौजूद है। इसके अतिरिक्त ‘हिन्दवी’ पर 500 से अधिक ई-पुस्तकें और 250 वीडियो भी उपलब्ध हैं। इसमें निरंतर बढ़ोतरी जारी रहेगी। इसके साथ एक आकर्षण कविता में आए शब्दों के अर्थ को कविता-पाठ के समय ही पा लेने का भी है। इसके लिए एक व्यवस्थित ‘शब्दकोश’ को भी ख़ास ‘हिन्दवी’ के लिए तैयार किया गया है।
इस अवसर पर हिंदी सिनेमा और कला जगत के लोकप्रिय कलाकार रघुबीर यादव, दिव्या दत्ता, स्वानंद किरकिरे, मानव कॉल, रजत कपूर और लुबना सलीम व अन्य हस्तियां कुछ प्रसिद्ध हिंदी कविताओं ने पाठ भी किया। इस समारोह का लाइव प्रसारण ‘हिन्दवी’ के फेसबुक पेज और ‘रेख़्ता’ के सभी सोशल मीडिया हैंडल पर किया गया।
रेख्ता के संस्थापक संजीव सराफ का कहना है,“उर्दू शाइरी और अदब के इलाक़े में मिली सफलता के साथ ही हिंदी साहित्य के लिए भी रेख़्ता फ़ाउंडेशन कुछ करे, यह उम्मीद हमसे बराबर की जाती रही है। हिंदवी को लॉन्च करना हमारी तरफ़ से इस ज़रूरत को ही पूरा करने का एक छोटा-सा प्रयास है। हम यह भी मानते हैं कि इससे दो बहन भाषाएँ (हिंदी और उर्दू) एक-दूसरे के और निकट आएँगी। इसके साथ ही हमारे उपमहाद्वीप की दूसरी भाषाओं के भी संरक्षण और प्रसार में इससे मदद मिलेगी। यह मंच तकनीक, कार्य-क्षमता और सोशल मीडिया के मार्फ़त इस दिशा में आगे बढ़ेगा। यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक साहित्यिक-विरासत को सँजोने की दिशा है।”
रेख़्ता फ़ाउंडेशन की शुरुआत वर्ष 2012 में उद्योगपति संजीव सराफ़ की ओर से कीगई थी। यह मूलतः उर्दू कविता और साहित्य को समर्पित है; जिसमें 40,000 ग़ज़लें, 26,000 शाइर और 7,500 नज़्में हैं। वेबसाइट में 4,100 आडियो, 7,000 वीडियो और 90,000 ई-पुस्तकें भी शामिल हैं। उर्दू साहित्य को संरक्षित और बढ़ावा देने के अपने प्रयास में फ़ाउंडेशन ने अब तक एक लाख से ज़्यादा पुस्तकों और 19 मिलियन पृष्ठों को डिजिटाइज़ किया है। फाउंडेशन ‘जश्न-ए-रेख़्ता’ नाम से एक तीन दिवसीय वार्षिक उत्सव भी आयोजित करता है, जिसमें साहित्य और संस्कृति जगत के जाने-माने चेहरे अपने विचारों और कला से उर्दू के विविध और दिलचस्प पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एक जगह जमा होते हैं।
अरविन्द.संजय
वार्ता