उदयपुर 29 दिसम्बर (वार्ता)पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से चल रहे दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के तहत देश के विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने अपनी चित्ताकर्षक प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया इनमें गोवा का घोड़े मोडनी तथा ऑडीशा का गोटीपुवा नृत्य उत्कृष्ट कलाएं रही। कलांगन पर बुधवार की सांध्य वेला में कार्यक्रम का आगाज़ ..जल का गीत’’ अर्थात जोलार गान से हुआ। अपने विविध वाद्यों मण्डोला, सकताना, वॉयलिन, परकशन, गिटार, पड्डा, केजॉन के साथ अलमस्त अंदाज में बांगलादेशी कलाकारों ने एक एक कर चार गीत सुनाये इनमें सर्व प्रथम गीत ‘‘शुआ जाओ’’ तथा बाद में ‘‘बकूल फूल’’ में फूलों की बात सुरीले अंदाज में कही गई। इस अवसर पर ‘‘पागलेर गान’’ याने सॉंग ऑफ मैड को बांगलादेशी कलाकारों ने अनूठे अंदाज में पेश किया। एलन ट्वीडी के नेतृत्व में आये इन विदेशी कलाकारों द्वारा जल पर इठलाती नौका के दृश्य को उत्कृष्ट अंदाज में प्रस्तुत किया। कलाकारों में राहुल, कनक आदित्य, शेओली भट्टाचाराजा, सैफुल इस्लाम जरनाल, एबीएस ग्जेम, करमूल, आसीर अरमान व शूवो सम्मिलित हैैंं। इसके बाद गुजरात के छाटा उदेपुर के राठवा आदिवासियों ने अपने नृत्य में आकर्षक पिरामिड बना रक दर्शकों की दाद बटोरी। कार्यक्रम में मणिपुर के पुंग चोलम में होली नृत्य की प्रस्तुति दर्शकों के लिये आल्हादकारी रही वहीं ऑडीशा के गोटीपुवा बाल नर्तकों ने अपने नृत्य में विभिन्न प्रकार के करतब दिखा कर दर्शकों की वाहवाही लूटी। इन बालकों ने सिर के बल चलने के अलावा विभिन्न आंगिक क्रियाओं का प्रदर्शन मोहक ढंग से किया। राजस्थान के बारां जिले के शाहाबाद के गोपाल धानुक व उनके साथियों ने होली का स्वांग मनोरंजक अंदाज में पेश किया। इनका लोक वाद्य धूम धड़ाका दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रहा। कार्यक्रम में गोवा का घोड़े मोडनी नृत्य जोश पूर्ण प्रस्तुति बन सकी। मराठा योद्धाओं के वेश में घुड़ सवारों ने हवा में तलवार और तरंग लहराते हुए गोवा की सतरंेगी संस्कृति से दर्शकों का रूबरू करवाया। रंगमंच पर दर्शकों को सर्वाधिक आनन्द उद समय आया जग गुजरात के राजपीपला से आये सिद्दि कलाकार मंच पर आये अपने वाद्य मुगरवान-ढोल, व शंख के नाद के साथ कलाकारों ने सिद्दि धमाल नृत्य दर्शाया। नृत्य के चरम पर पहुंच कर कलाकारों द्वारा हवा में उछाले नारियल को सिर से फोड़ने का दृश्य का दर्शकों ने भपूर आनन्द उठाया। कार्यक्रम में इसके अलावा लावणी, मयूर नृत्य, कावड़ी कड़गम उल्लेखनीय प्रस्तुतियां रही।