बेंगलुरु, 27 सितंबर (वार्ता) हॉकी जगत में बड़ी छलांगें लगाने वाली भारत की युवा मिडफील्डर उपासना सिंह ने मंगलवार को खुलासा किया कि वह हॉकी से पहले क्रिकेट खेला करती थीं और अब वह हॉकी ओलंपिक में देश को पदक जिताना चाहती हूँ।
उपासना ने कहा, “मैं हमेशा से खेलों में रुचि रखती थी। मैंने क्रिकेट से शुरुआत की थी, लेकिन अपने कोच की सलाह पर हॉकी का रुख किया।” उन्होंने कहा कि युवावस्था में हॉकी खेलते हुए उन्हें चोट लगी थी जिससे वह हॉकी खेलने के लिये और अधिक तत्पर हो गयीं। उपासना ने महज 11 साल की उम्र से हॉकी खेलने शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा कि हॉकी खेलते हुए मुझे कई बार चोट लगी और मैं हार नहीं मानी और दृढता और समर्पण भावना के साथ हॉकी खेलने का फैसला किया।
उपासना के इस फैसले को उनके माता-पिता का समर्थन मिला, लेकिन उनके पड़ोसियों ने हॉकी खेलने के उनके फैसले पर सवाल उठाया था। उन्होंने बताया कि जब मैने हॉकी खेलनी शुरू की तो हमारे आसपास के लोग महिला हॉकी के बारे में नहीं जानते थे। आज स्थिति पूरी तरह से बदल गयी है। पिछले दशक में हमारी टीम के प्रदर्शन और हमारी उपलब्धियों की बदौलत हॉकी एक प्रसिद्ध खेल बन गया है। यहां तक कि मेरे परिवार के सदस्य भी अब चाहते हैं कि बेटियां हॉकी खिलाड़ी बनें।
उपासना अपने हॉकी के सफर को आगे बढ़ाते हुए 2013 में मध्य प्रदेश हॉकी अकादमी चली गयीं और इसी साल जूनियर नेशनल करियर की शुरुआत की। उन्होंने अपनी टीम को रजत पदक जीतने में मदद भी की। इसके बाद उपासना ने 2016 में सीनियर राष्ट्रीय में पदार्पण किया और एक बार फिर रजत पदक विजेता टीम का हिस्सा रहीं।
मध्य प्रदेश की 21 वर्षीय मिडफील्डर ने कहा, “मैं उस समय काफी छोटी थी। राष्ट्रीय टीम में खेलने से मुझे अपने खेल को विकसित करने और उस समय विभिन्न प्रकार के कौशल सीखने का मौका मिला।”
उपासना को 2018 में जूनियर कैंप का हिस्सा बनने का पहला मौका मिला। वह 2021 में पहली बार सीनियर राष्ट्रीय हॉकी टीम शिविर में बुलाया गया, जबकि जनवरी 2022 में 60-सदस्यीय कोर-संभावित समूह में उन्हें नामित किया गया था।
उपासना वर्तमान में मध्य प्रदेश हॉकी अकादमी में आगामी राष्ट्रीय खेलों की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उनका सपना एक दिन भारत का प्रतिनिधित्व करना और ओलंपिक पोडियम पर खड़ा होना है।
उन्होंने कहा, “किसी भी अन्य हॉकी खिलाड़ी की तरह मैं अपने देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूँ और भारत की जर्सी पहनना चाहती हूं। मेरा सपना एक दिन ओलंपिक पोडियम पर खड़ा होना और देश को गौरवान्वित करना है।”
शादाब, उप्रेती
वार्ता