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लोकरुचि


पुष्पवर्षा से हुआ द्वारकाधीश की बारात का स्वागत

पुष्पवर्षा से हुआ द्वारकाधीश की बारात का स्वागत

मथुरा, 28 मई (वार्ता) द्वारकाधीश महाराज और रूक्मिणी के अनूठे विवाह में ब्रज का कोना-कोना ऐसा कृष्णमय हुआ कि इसे देखने के लिए ब्रजवासियों एवं तीर्थयात्रियों का समूह द्वारकाधीश मंदिर की ओर उमड़ पड़ा जिसने भी यह अायोजन देखा वह भावविभोर हो गया। इस आयोजन को देखकर कुछ तीर्थयात्रियों के नेत्र सजल हो गए।

विवाह के पूर्व निकली बारात का कल इतना जबरदस्त स्वागत हुआ कि गुलाब के पुष्प की वर्षा से बारात मार्ग की सड़कें गुलाब की पंखुड़ियों से ढक गईं। कुछ स्थानों पर बारात पर गुलाब जल की वर्षा की गयी और कहीं-कहीं पर बारातियों पर इतना इत्र लगाया गया कि पूरा वातावरण सुगंन्धित हो उठा।

जगह-जगह बारातियों का स्वागत करने की होड़ सी लग गई। बारातियों का स्वागत कहीं शर्बत, कहीं शिकंजी, कहीं मेवा से भरपूर दूध से, कहीं फलों के रस, कहीं ठंडाई तो कहीं लस्सी से किया गया। बारात में महिला, पुरूषों और बच्चों के शामिल होने की ऐसी होड़ लगी कि बारात एक किलोमीटर लम्बी हो गई। बारात मार्ग पर छतों से महिलाएं और बच्चे इस बारात को देखकर आनन्दित हो रहे थे।

                           बारात की शोभा में जहां सबसे आगे सजा सजाया ऊंट चल रहा था तो उसके पीछे भक्तिपूर्ण गीतों की धुन से वातावरण को भक्तिरस से सराबोर करते हुए बैंड चल रहा था। सिर पर पगड़ी बांधे, नये कपड़ों के साथ बाराती वातावरण को राजस्थानी रंग में सराबोर बनाए हुए थे। उसके पीछे रथ पर ठाकुर जी विराजमान थे और मंदिर के सहायक मुखिया उनके पंखा झल रहे थे। गर्मी को देखते हुए जगह- जगह बारातियों के लिए लोगों ने पंखे लगा रखे थे।

गिर्राज सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष मुरारी अग्रवाल की अगुवाई में जब बारात द्वारकाधीश मंदिर पहुंची तो शहनाई बज उठी। मंदिर के गोस्वामी वेदांत कुमार, अधिकारी श्रीधर चतुर्वेदी, जनसंपर्क अधिकारी राकेश तिवारी के नेतृत्व में बारात का अभूतपूर्व स्वागत किया गया तथा प्रमुख बारातियों को मंदिर के जगमोहन तक ले जाया गया जहां पर विवाह की रश्म निभाई गई।

द्वारकाधीश मंदिर की सजावट देखते ही बनती थी। मंदिर का हर कोना नई नवेली दुल्हन सा लग रहा था, वहीं मंदिर के जगमोहन में बेदी के पास गोप-गोपियां मौजूद थीं। सांकेतिक रूप से बारातियों के लिए 31 चांदी की थालियों एवं बर्तनों में भोजन की व्यवस्था की गई थी।


                         वैदिक मंत्रों के मध्य वेदी के सामने द्वारकाधीश एवं रूक्मिणी के सांकेतिक फेरे भी पड़े। विवाह के इस अनूठे आयोजन को अपने नेत्रों में कैद करने के लिए लोगों में होड़ लगी हुई थी। विवाह में रूक्मिीणी को भेंट देने वालों की लाइन लग गई तो विवाह के बाद डोली में सांकेतिक विदाई भी हुई।


विदाई के समय शहनाई वादन में विदाई के गीत की धुन बज रही थी:-

‘छोड़ बाबूल को घर मोहि पी के नगर आज जाना पड़ा।’

समाजसेवी 70 वर्षीय बालो जी अग्रवाल ने कहां कि बल्लभ कुल सम्प्रदाय में ऐसा अनूठा आयोजन उन्होंने अपने जीवन में पहली बार देखा है। रामलीला में विभिन्न पात्रों की भूमिका निभा चुके 75 वर्षीय शंकरलाल चतुर्वेदी ने बताया कि वह इस विवाह को देखने के लिए गोवर्धन से आए हुए हैं, इसे न देखते तो ठाकुर की अनूठी लीला के दर्शन से वंचित हो जाते।

मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी राकेश तिवारी ने बताया कि विवाह के कारण चूंकि ठाकुर को विश्राम का कम समय मिला इसलिए उनकेे शयन के समय उनके दोनो ओर डेढ़ गुना भोग कल के विवाह के बाद रखा गया था।

कार्यक्रम के आयोजक गिर्राज सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष मुरारी अग्रवाल के अनुसार बारात में भाग लेने वाले हजारों बारातियों के लिए गोवर्धननाथ मंदिर स्वामीघाट पर प्रसाद की व्यवस्था की गई थी। कुल मिलाकर इस आयोजन से भक्ति रस की ऐसी गंगा प्रवाहित हुई कि लोग धन्य हो गये।

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