मुंबई 14 जनवरी (वार्ता) मकर संक्राति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और बॉलीवुड फिल्म भी इससे अछूता नहीं रहा है। बॉलीवुड की कई फिल्मों में पतंगबाजी और इससे आधारित गीत फिल्माये गये हैं।
भारतीय फिल्मों में त्योहार, हर अवसर को बयां करते हजारों गीत फिल्माए जाते रहे हैं और मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी के दौरान यदि मकर संक्रांति के उत्सव से जुड़े गाने चला दिए जाएं तो पतंग उड़ाने का जोश ही दुगना हो जाता है।
बॉलीवुड की ऐसी कई फिल्में हैं जिनमें पतंग पर गाने और पतंग उड़ाने वाली सीन हैं। फिल्मों में इस त्योहार को गानों के जरिए भी दिखाया गया है। जैसे-जैसे बॉलीवुड का दौर आगे बढ़ा पतंग सिल्वर स्क्रीन पर रंगीन होती गई। साथ ही, पतंग उड़ाने के गाने और उनके सीन और भी ज्यादा दिलचस्प और मजेदार होते चले गए। बॉलीवुड के कुछ ऐसे गीत, जो इस दिन की मस्ती, उड़ती पतंग के उतार-चढ़ाव को हमारी जिंदगी से जोड़कर बेहद ही खूबसूरती से बयां करते हैं।
वर्ष 1957 में प्रदर्शित बलराज साहनी और नंदा की मुख्य भूमिका वाली फिल्म भाभी में फिल्माया यह गीत “चली-चली रे पतंग मेरी चली रे”, चली बादलो के पार हो के डोर पे सवार, सारी दुनिया ये देख-देख जली रे, चली-चली रे पतंग” आज भी लोकप्रिय है। मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर की आवाज में चित्रगुप्त के संगीत निर्देशन में इस गीत को राजेंद्र कृष्ण ने लिखा था।
वर्ष 1960 में प्रदर्शित फिल्म पतंग में माला सिन्हा और राजेंद्र कुमार ने मुख्य भूमिका निभायी थी। इस फिल्म में पतंग को आधार बनाकर जीवन का दर्शन बताया गया है। मोहम्मद रफी का संगीत और राजेंद्र कृष्ण जी के बोल से सजा इस फिल्म का पतंग यह गीत, दुनिया पतंग नित बदले यह रंग...कोई जाने न उड़ाने वाला कौन है...आज भी बहुत पंसद किया जाता है।
वर्ष 1970 में प्रदर्शित शक्ति सामंत के निर्देशन में बनी फिल्म कटी पतंग में महिलाओं की दशा को एक दिशाहीन पतंग के माध्यम से बखूबी बयां किया गया है। इस फिल्म का यह गीत ना कोई उमंग है, ना कोई तरंग है मेरी जिंदगी है क्या, एक कटी पतंग है आज भी लोगों के जेहन में बसा हुआ है। लता मंगेश्कर की आवाज में आनंद बख्शी रचित और आर. डी. बर्मन संगीतबद्ध इस गीत में नायिका ने अपने जीवन की तुलना आसमान से कटकर गिरी हुई पतंग से की है और बड़ी ही खूबसूरती से इस गीत के माध्यम से जीवन के एक अलग पहलू को पतंग से जोड़कर नायिका ने अपने जीवन का एक अलग दौर और भावनाएं दर्शाई हैं। कटी पंतग में राजेश खन्ना और आशा पारेख ने मुख्य भूमिका निभायी थी।
वर्ष 1999 में प्रदर्शित संजय लीला भंसाली की सुपरहिट फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ का गीत ‘ऐ ढील दे, ढील दे दे रे भैया’ इस गाने में पतंगबाजी की मस्ती को हूबहू फिल्माया गया है। गाने को लिखा है महबूब ने और गाया है शंकर महादेवन, दमयंती बरदाई, ज्योत्स्ना हर्डीकर और साथी कलाकारों ने। संगीत इस्माइल दरबार का है। फिल्म में सलमान खान, ऐश्वर्या राय और अजय देवगन ने मुख्य भूमिका निभायी थी।
वर्ष 1999 में प्रदर्शित 1947 अर्थ फिल्म का गीत रुत आ गई रे में आमिर खान फिल्म की नायिका नंदिता दास को पतंग उड़ाना सिखाते हैं और पतंगबाजी के मर्म को उनके बीच सूक्ष्म रोमांस के जरिए बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया गया है। जावेद अख्तर रचित और ए. आर. रहमान के संगीत निर्देशन से सजे इस गीत को सुखविंदर सिंह ने आवाज दी है।
वर्ष 2013 में प्रदर्शित फिल्म काई पो चे का गीत ‘मांझा’ पतंग उड़ाने के त्योहार पर आधारित है। गुजरात में उत्तरायण के आसपास बनी हुई इस फिल्म के एक गीत ‘मांझा’ में पतंग उड़ाते हुए कुछ मजेदार दृश्य हैं, जो आपको इस त्योहार की याद ताजा करते हैं। इस गीत के गायक और संगीतकार अमित त्रिवेदी हैं जबकि गीत स्वानंद किरकिरे ने लिखा है।
वर्ष 2013 में ही प्रदर्शित फिल्म ‘फुकरे’ का गीत ‘अम्बरसरिया’ गीत यूं तो पूरी तरह तो पतंग पर आधारित नहीं है, लेकिन यह भारतीय भावनाओं को अच्छी तरह दिखाता है और पतंग के माध्यम से नायक पुलकित सम्राट, फिल्म की नायिका प्रिया आनंद को अपना संदेश भेजता है। यह दृश्य आपको मकर संक्रांति के दिन की उन खुशियों और जवानी के लापरवाह दिनों तक ले जाएगा। इस गीत को गाया है सोना महापात्र ने जबकि संगीत राम सम्पत ने दिया है। इस गीत को मुन्ना धीमन ने लिखा है।
वर्ष 2017 में प्रदर्शित शाहरुख खान की फिल्म ‘रईस’ के गीत ‘उड़ी-उड़ी जाए’ में बड़ी खूबसूरती से पतंग को दिल की संज्ञा दी गई है और मांझे को नजर कहा है और बताया है कि कैसे नजरों के मांझे से दिल की पतंग गोते खाती है। भूमि त्रिवेदी और सुखविंदर सिंह की आवाज में राम संपत संगीतबद्ध इस गीत को जावेद अख्तर ने लिखा है।
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