नयी दिल्ली 04 सितंबर (वार्ता) उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत और अफ्रीका महत्वपूर्ण व्यापारिक तथा आर्थिक संबंध हैं और इनके विस्तार की व्यापक संभावना है।
श्री नायडू ने बुधवार को यहां ‘बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत-अफ्रीका संबंध’ विषय पर आयोजित सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद अफ्रीका दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बन जायेगा इसलिए भारत को इस क्षेत्र से अपने व्यापारिक तथा आर्थिक संबंध बढ़ाने की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यदि भारत शीघ्र ही 50 खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनने के प्रयास में है तो अफ्रीका उसके इस ऐजेंडे का पूरक बन सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की देश की दस-सूत्रीय अफ्रीका नीति की चर्चा करते हुए कहा कि हमारी नीति का लक्ष्य अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को निरंतर प्रगाढ़ बनाना है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने उपनिवेशवाद का दंश झेला है तथा इसके विरुद्ध मिलकर लड़े हैं इसलिए दोनों देशों के लोग ऐसी लोकतांत्रिक वैश्विक व्यवस्था चाहते है जिसमें भारत और अफ्रीका में बसने वाली विश्व की एक तिहाई आबादी को स्वर मिल सके।
श्री नायडू ने कहा कि अफ्रीका महात्मा गांधी की पहली कर्मभूमि थी जहां समानता, सम्मान और न्याय के लिए उनके आरंभिक संघर्ष ने भारत और अफ्रीका के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाया। उन्होंने कहा कि भारत, सफल डिजिटल क्रांति के अपने अनुभवों को अफ्रीका के साथ साझा करने के लिए तत्पर है। भारत जनसेवाओं के विस्तार, जन स्वास्थ्य और शिक्षा, डिजिटल साक्षरता, वित्तीय समावेश तथा दुर्बल वर्गों को समाज की मूलधारा में जोड़ने के बारे में अपने अनुभवों का लाभ अफ्रीका को उपलब्ध करा सकता है। इसके साथ ही भारत कृषि क्षेत्र में अफ्रीका को सहयोग दे सकता है। अफ्रीका में विश्व की 60 फीसदी कृषि योग्य भूमि है परंतु विश्व के कुल कृषि उत्पादन का 10 फीसदी ही अफ्रीका में पैदा होता है।
अभिनव.संजय
वार्ता