लखनऊ 11 जनवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की महिलाओं की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया है।
श्रीमती पटेल ने सोमवार को द्वितीय राष्ट्रीय महिला संसद के उदघाटन के अवसर पर वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये कहा कि यह मंच समाज की उन महान महिला विभूतियों को, जिन्होंने राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, खेल, कला, संस्कृति, उद्योग, व्यवसायिक तथा मीडिया आदि क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है, को अनुभव साझा करने के लिये अवसर प्रदान करता है।
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी महिलाओं को एक ऐसी नैतिक शक्ति के रूप में देखना चाहते थे, जिनके पास अपार नारीवादी साहस हो। जिस समाज में महिलाओं का सम्मान नहीं होगा, वह समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता। महिला अपने आप में एक ऐसी संस्था है, जो संस्कारवान समाज का निर्माण करती है। महिलाएं ही बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण करती हैं।
उन्होने कहा कि महिला सशक्तीकरण का सीधा सा मतलब महिलाओं को सामाजिक हाशिए से हटाकर समाज की मुख्यधारा में लाना, निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना, उनमें पराधीनता और हीन भावना को समाप्त करना है। महिलाएं शक्तिशाली बनती हैं तो वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं। महिला सशक्तीकरण पुरूषों और महिलाओं के बीच असमानताओं को दूर करने का एक सशक्त माध्यम है, जो महिलाओं को अपने जीवन के बारे में चुनाव करने की क्षमता को मजबूत भी करती है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि आज हमें उन ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की महिलाओं की ओर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, जो किन्हीं परिस्थितियों में विकास की मुख्य धारा से वंचित रही हैं और अपने अधिकारों के बारे में जानती भी नहीं है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में स्थिति अच्छी है, परन्तु इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता कि आज भी देश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहती है। ग्रामीण महिलाओं को केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा उनके कल्याण के लिये चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी जाये और उनके सशक्तिकरण के लिये जो आवश्यक हो वह कदम उठाये जायं।
उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में गरीबी, अशिक्षा, स्वच्छता तथा कुपोषण जैसे मुद्दों पर अनेक कदम उठाये हैं। कुपोषण देश के लिए एक समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए ही देश में बड़े स्तर पर आंगनवाडी केन्द्रों और मिड-डे-मील कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री की पहल पर भारत को कुपोषण से मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है।
प्रदीप
वार्ता