रांची, 08 जून (वार्ता) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार श्रमिकों के अधिकार से किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेगी।
श्री सोरेन ने यहां कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। साथ ही हम सीमा क्षेत्रों में राष्ट्र की सेवा करते हुए अपने श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने को समान प्राथमिकता देते हैं। राज्य सरकार केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को सहयोग देने के लिए सदैव तैयार है।
लॉकडाउन के कारण लेह-लद्दाख से लौटे प्रवासी मजदूरों की आपबीती सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने वैधानिक शर्तों और श्रमिकों को सभी लाभ देने के लिखित सहमति मिलने के बाद श्रमिकों को ले जाने की अनुमति संगठन को दी है। राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद संताल परगना के 11, 815 श्रमिकों को सीमा सड़क संगठन के लिए पूरे अधिकार के साथ काम करने का अवसर मिलेगा।
श्रमिकों को निर्धारित मजदूरी की राशि में 20 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ सीधे उनके बैंक खाते में मिलेगी। संगठन और उपायुक्त के बीच पंजीकरण प्रक्रिया के बाद ही श्रमिक जाएंगे। बिचौलियों की भूमिका खत्म की गई है। चिकित्सा सुविधा, यात्रा भत्ता, कार्य स्थल पर सुरक्षा, आवास लाभ भी मिलेगा।
संताल परगना से हजारों आदिवासी श्रमिक साल 1970 से लेह-लद्दाख के दूरगम स्थान, कठिनतम चोटियों और दर्रों पर विशेषकर सड़क बनाने जाते हैं। संगठन अपने स्थानीय नेटवर्क की मदद से इन्हें साल में दो बार बुलाता है। एक बार अप्रैल-मई में श्रमिक जाते हैं, इन्हें सितंबर तक लौटना होता है। दूसरी बार अक्तूबर-नवंबर के दौरान श्रमिक जाते हैं और फरवरी में लौटने लगते हैं। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण श्रमिक फंस गए। श्रमिकों ने सीएमओ और कॉल सेंटर से संपर्क कर वापसी की गुहार लगाई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने टीम बनाई और 29 मई को 60 श्रमिक एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया।
सतीश
वार्ता