लंदन 03 जून (वार्ता) बार बार बदलने वाली पाली (शिफ्ट) में काम करने वाले कर्मचारियों काे मोटापे और दिल की बीमारी के साथ साथ मस्तिष्काघात का भी खतरा रहता है। शिफ्ट में काम करने की वजह से लोग न समयानुसार खा पाते हैं और न ही पर्याप्त नींद ले पाते हैं, जिससे मोटापा और दिल की बीमारी होती है तथा मस्तिष्क में रक्त प्रवाह रूक जाता है। जो जानलेवा साबित हो सकता है। टेक्सास के ए एंड एम हेल्थ साइंस सेंटर कॉलेज ऑफ मेडिसीन में प्रोफेसर डेविड अर्नेस्ट ने अपने नये शोध में बताया है कि मानव शरीर 24 घंटे के चक्र में बंधा होता है। शरीर के अंदर एक तरह की घड़ी होती है जो बताती रहती है कि कब खाना है, कब सोना है और कब अन्य काम करने हैं। शिफ्ट में काम करने खासकर बार बार बदलने वाली शिफ्ट में काम करने से शरीर का बॉयोलॉजिकल क्लॉक दुविधा में पड़ जाता है क्योंकि हम अनियमित समय पर खाना खाने लगते हैं और अनियमित समय पर सोने लगते हैं। बार बार बदलती शिफ्ट से यह मामला और गंभीर हो जाता है और ऐसे काम करने वाले लोगों की कसरत करने की इच्छाशक्ति भी क्षीण होती जाती है, जिससे मोटापा और दिल की बीमारी के खतरे अधिक बढ़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि बार बार बदलती शिफ्ट से एक तरह के मस्तिकाघात ‘आईशेमिक’ का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। यह आघात तब होता है, जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह अवरूद्ध हो जाता है और कभी कभी खून का थक्का बन जाने से बंद हो जाता है। इससे दिमाग को क्षति तो होती ही है साथ ही हाथ -पैर का संचालन भी प्रभावित हो जाता है। अर्चना, अमित जारी वार्ता