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दुनिया


चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा ,“ अमेरिका ने अगर तत्काल प्रतिबंध नहीं हटाए तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।” अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा, “यह प्रतिबंध चीन द्वारा रूस से पिछले साल 10 एययू-35 लड़ाकू विमान और इस वर्ष सतह से हवा में मार करने वाली एस -400 मिसाइल खरीदने के कारण लगाया गया है।”
अमेरिका ने कहा,“ चीन की सैन्य समिति के खिलाफ यह कदम रूस की दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों पर नकेल कसने के मकसद से उठाया गया है।” अमेरिका के इस कदम से नाराज चीन ने कहा है कि न्यूयॉर्क जितना जल्द हो सके अपनी 'गलती' सुधार लेगा तो बेहतर होगा।
अमेरिका ने गुरुवार को चीनी सेना के हथियार खरीदने के मामले को देखने वाले महत्वपूर्ण प्रकोष्ठ - इक्यूपमेंट डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (ईईडी) और उसके निदेशक ली शागंफु पर प्रतिबंध लगा दिया।
इसके पहले भी ट्रंप प्रशासन ने अपने 'काउंटरिंग अमेरिका एडवरजरीज सैंक्शंस एक्ट' ( सीएएटीएसए) प्रतिबंधों से तीसरे देश को निशाना बनाया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह 2017 के कानून के तहत चीन की सैन्य एजेंसी को प्रतिबंधित कर रहा है।
विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा,“ चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने रूस के नुकसान पहुंचाने वाले कदमों के खिलाफ अमेरिकी कानून का उल्लंघन करते हुए उससे एस 400 मिसाइल खरीदी है।” अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि दरअसल अमेरिका का निशाना मॉस्को है ,बीजिंग नहीं।
आशा, रवि
रायटर
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