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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


मरहम पट्टी कराने से देर से भरता है जख्म

मरहम पट्टी कराने से देर से भरता है जख्म

नयी दिल्ली, 25 मई (वार्ता) स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरुकता के कारण अब हम हल्की चोट में भी सबसे पहले डॉक्टर के यहां मरहम पट्टी कराने दौड़ जाते हैं लेकिन हर बार ड्रेसिंग कराना उतना कारगर साबित नहीं होता और इससे जख्म भी देर से भरता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि हाल ही में सर्जरी के बाद हुए जख्म की ड्रेसिंग को लेकर हुए परीक्षण की समीक्षा की गयी जिसमें पाया गया कि कई बार ड्रेसिंग घाव के संक्रमण को रोकने के बजाय सिर्फ मरीज काे ध्यान में रखकर कर दी जाती है। मरीज घाव को बंद देखकर मानसिक रूप से कम परेशान होता है लेकिन खुला जख्म उसे मानसिक रूप से अधिक परेशान करता है। उन्होंने बताया कि ड्रेसिंग रक्तस्राव को अवशोषित करता है अौर किसी भी तरह के सीधे नुकसान जैसे घाव की जगह पर चोट लगने से बचाता है। इससे मरीज की चिंता कम हो सकती है। मरहम पट्टी के कारण कई बार जख्म भी देर से भरता है जबकि खुला घाव प्राकृतिक रूप से जल्दी ही भरता है। उन्होंने बताया कि घाव को बिना ड्रेसिंग के खुला छोड़ दिया जाये तो कई समस्याओं और ड्रेसिंग के अंदर जख्म की क्या हालत होगी, इस आशंका से बचा जा सकता है। सर्जरी के बाद विशेषकर बच्चों के घाव को अगर नहीं ढंका जाये तो ड्रेसिंग हटाने के दौरान होने वाले दर्द से बचा जा सकता है। अगर इसकी लागत की बात की जाये तो सर्जरी के बाद ड्रेसिंग करवाना काफी महंगा होता है। इस अनिश्चितता को लेकर शोधकर्ता कम लागत और कम अवशोषी ड्रेसिंग करवाने की सलाह देते हैं। सोनू अर्चना वार्ता

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