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हिंदी सेवा सम्मान से नवाजे गये लेखक, पत्रकार और हिंदी प्रेमी

हिंदी सेवा सम्मान से नवाजे गये लेखक, पत्रकार और हिंदी प्रेमी

पटना 20 सितंबर (वार्ता) साहित्याकारों के अलावा भाषा एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए तत्पर रहने वाले लोगों के योगदान को भी महत्व देते हुये अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति ने आज कई लेखक, पत्रकार और हिंदी प्रेमियों को हिंदी सेवा सम्मान से नवाजा।

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति यूएस बिहार-झारखंड, भारत शाखा, पटना की ओर से यहां आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार के सूचना एवं जन संपर्क मंत्री नीरज कुमार ने संवाद एजेंसी ‘समाचार भारती’ के पूर्व ब्यूरो प्रमुख और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) की हिंदी सेवा ‘भाषा’ से सेवानिवृत्त एवं कविता लेखन में अभिरुचि रखने वाले अजित प्रताप सिंह समेत कुल 18 हिंदी प्रेमियों को इस सम्मान से सम्मानित किया है।

सम्मान पाने वाले अन्य साहित्यकारों, लेखकों, पत्रकारों और हिंदी प्रेमियों में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से जुड़ी रहीं डॉ. प्रीति कश्यप, लेखक डॉ. वीरेंद्र कुमार सिंह, प्रख्यात यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय गुप्ता, महाविद्यालय के प्रधानाचार्य रहे डॉ. राणा प्रताप सिंह, विदेश में हिंदी भाषा के सम्मान के लिए प्रयासरत अपर्णा भारती, लेखक डॉ. अमरेंद्र कुमार, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति यूएस बिहार-झारखंड, भारत शाखा, पटना की पूर्व अध्यक्ष डॉ. रानी श्रीवास्तव, अभियंता संजय कुमार, अभिनेता रवि मिश्रा, जे. डी. विमेंस कॉलेज में संगीत की विभागाध्यक्ष प्रो. रीता दास, साहित्य प्रेमी अर्जुन ठाकुर, लेखिका प्रभा रानी सिंह, लेखिका वंदना वर्मा, कवयित्री निधि सरोज चौधरी, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति यूएस बिहार-झारखंड, भारत शाखा, पटना के संस्थापक अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार चौधरी, कम्प्यूटर इंजीनियर विक्की कुमार और सरस्वती विद्या मंदिर शामिल है।

इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति यूएस बिहार-झारखंड, भारत शाखा, पटना की अध्यक्ष डॉ. शोभा रानी ने कहा, “अधिकतर लोग हिंदी सेवा का सम्मान केवल साहित्यकार एवं कवियों को प्रदान करते हैं जबकि उनके साथ-साथ हमें उन लोगों का भी सम्मान करना चाहिए जो लेखक न हाेेते हुये भी हिंदी भाषा एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।” वहीं, बिहार संस्कृति बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध लेखक सिद्धेश्वर प्रसाद ने हिंदी कैसे पूरे राष्ट्र की भाषा बने पर अपने विचार व्यक्त किये।

सूरज उपाध्याय

वार्ता

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