सहारनपुर 18 सितम्बर (वार्ता) पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में समाजसेवा के लिये विख्यात आर्य समाजी नेता ठाकुर विक्रम सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह अंग्रेजों और मुगल शासकों द्वारा छोड़ी गयी दासता की निशानियों को राज्य से हमेशा के लिये मिटा दें और उसके स्थान पर प्रदेश के गौरवशाली इतिहास के शूरमाओं काे स्थान दें।
अपना 78वां जन्मदिन मना रहे बुजुर्ग समाजसेवक ने कहा “ बड़े दुःख की बात यह है कि देश की जिस सियासत पर भारत को दुनिया में गौरवशाली स्थान हासिल कराने की महती जिम्मेदारी थी, उसके खुद पथ भ्रष्ट हो जाने और कुछ राजनीतिज्ञों के अपने सिद्धांत छोड़कर निजी परिवार और कारोबार का पोषण करने की बढ़ती प्रवृत्ति के चलते देश ऊपर चढ़ने के बजाए नीचे गिरता जा रहा है।”
ठाकुर विक्रम सिंह ने यूनीवार्ता को बताया कि गृहस्थ और कारोबारी जिम्मेदारियों को छोड़कर उन्होंने 20 वर्ष की आयु से 40 वर्ष की आयु तक देश भर में भ्रमण किया और आर्य समाज के पूर्णकालीक प्रचारक के रूप में स्वामी दयानंद जी के संदेशों का प्रचार-प्रसार किया, लोगों में आर्यसमाज के प्रति चेतना जगाई, जागरूकता लाने का कार्य किया, गुरूकुलों का संवर्धन किया, संरक्षण किया और महिलाओ को शिक्षित करने पर ज्यादा बल दिया। उन्होंने गौशालाओं को अपने आर्थिक संसाधनों से भरपूर सहायता प्रदान की और वर्तमान में भी कर रहे हैं।
उन्होने लंबे आर्य समाजी जीवन में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह,प्रख्यात आर्य समाजी और संसदविद् प्रकाशवीर शास्त्री, अलीगढ़ से 10 साल से लोकसभा सदस्य रहे प्रख्यात आर्य समाजी नेता शिवकुमार शास्त्री, सहारनपुर क्षेत्र के यशस्वी सांसद रहे प्रख्यात आर्य समाजी नेता ठाकुर यशपाल सिंह के साथ काम किया और समाज में बदलाव लाने की लंबी मुहिम चलाई।
विक्रम सिंह का एक ही संदेश रहा है कि लोग अच्छाई और सच्चाई के रास्ते पर चलें। सच्चाई और अच्छाई का जीवन ही देश और समाज को ऊंचा ले जा सकता है। विक्रम सिंह के सबसे छोटे पुत्र वरूणवीर और उनकी पत्नी देश और दुनिया में भारतीय योग एवं संस्कृति ध्यान का निःशुल्क प्रचार-प्रसार करते हुए यह दंपत्ति 25 देशों का दौरा अभी तक कर चुका है। डा. वरूणवीर दिल्ली के चाणक्यपुरी में भारत का विश्वस्तरीय योग संस्थान खोल रहे हैं जो भारतीय योग के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि साबित होगा। ठाकुर विक्रम सिंह ने अपने 78वें जन्मदिन के मौके पर “सर्वश्रेष्ठ बनो” शीर्षक नामक से पुस्तक का प्रकाशन भी किया है।
सं प्रदीप
वार्ता