नयी दिल्ली, 07 अगस्त (वार्ता) भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया ने कहा है कि युवा खिलाड़ियों को जोखिम उठाते हुये विदेशों में खेलने की जरूरत है जिससे उनके खेल का स्तर ऊंचा उठेगा।
भूटिया ने एआईएफएफ टीवी से कहा कि विदेशों में खेलने के लिए बलिदान देने की जरूरत होती है और खिलाड़ियों को अपने विकास के लिए यह जोखिम उठाना चाहिए।
भारत के लिए 100अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले पहले खिलाड़ी भूटिया ने कहा, “मैं भारत के युवा खिलाड़ियों को सुझाव दूंगा कि वे यह जोखिम उठायें और विदेशों में क्लब के लिए खेलें। आपको बलिदान देने की जरूरत होगी और इससे आपको इतनी कमाई नहीं होगी जितना भारत के एक शीर्ष खिलाड़ी की होती है। आप 25-26 वर्ष की उम्र हो जाने पर अपनी वित्तीय स्थिति पर ध्यान दे सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “इससे पहले एआईएफएफ टीवी के साथ बातचीत में वेंकटेश ने जो कहा उससे मैं सहमत हूं। हमारे खिलाड़ियों को केवल शीर्ष यूरोपीय लीग में खेलने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। वे चीन, जापान, कोरिया, कतर, यूएई जैसे एशियाई देशों और बेल्जियम जैसे देशों में भी खेल सकते हैं।”
भूटिया ने फुटबॉल में अपने करियर के दौरान इंग्लिश क्लब बरी एफसी के लिए तीन वर्ष खेले हैं और इसके बाद वह मलेशिया में पेरेक एफके एवं सेलांगोर एमके लैंड के लिए भी खेल चुके हैं।
उन्होंने विदेशों में खेलने से होने वाले लाभ पर कहा, “विदेशों में खेलने से अपको बहुत कुछ सीखने का मिलता है। यह निश्चित तौर पर आपको यह समझा देता है कि फुटबॉल का पेशेवर खेल क्या है और फुटबॉल का व्यवसाय कैसे चलता है। एक खिलाड़ी के रूप में आप विकास करते हैं और सीखते हैं। ब्यूरी एफसी के साथ मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा था। इसने मुझे इस बात से अवगत कराया कि मैं किस प्रकार का खिलाड़ी हूं। इसने मुझे खुद में सुधार करने में मदद की।”
प्रियंका राज
वार्ता