नयी दिल्ली, 10 जुलाई (वार्ता) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि देश में बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानी-आईआईटी जैसे प्रतिष्ठत संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों का भी प्लेसमेंट नहीं हो पा रहा है।
श्री गांधी अपने फेसबुक वाल पर इस स्थिति को आर्थिक मंदी का दुष्प्रभाव बताया और कहा कि जिन आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में दो साल पहले नौकरी न पाने वाले विद्यार्थियों का अनुपात 19 प्रतिशत था वह बढ़कर 38 प्रतिशत हो गया है जो बेरोजगारी की दर दोगना से ज्यादा है।
उन्होंने कहा “आर्थिक मंदी का दुष्प्रभाव अब देश के सबसे प्रतिष्ठित आईआईटी जैसे शीर्ष संस्थान भी झेल रहे हैं। आईआईटी में लगातार हो रहे प्लेसमेंट के पतन और सालाना पैकेज में गिरावट, बेरोज़गारी का चरम झेल रहे युवाओं की स्थिति में और गहरा आघात कर रहे हैं। साल 2022 में 19 प्रतिशत छात्रों को कैम्पस प्लेसमेंट नहीं मिल सका और इस वर्ष वही दर बढ़कर दुगना, यानी 38 प्रतिशत हो गई है।”
उन्होंने कहा “सोचने वाली बात यह है कि जब देश के सबसे प्रसिद्ध एवं सम्मानित शिक्षा संस्थानों का यह हाल है तो बाकी संस्थानों की क्या दुर्गति होगी। आज का युवा बेरोज़गारी से पूरी तरह टूट चुका है, पहले तो नौकरी नहीं और नौकरी मिले तो उचित आमदनी नहीं। प्रोफेशनल शिक्षा पाने में, उसकी पढ़ाई और तैयारी करने में माता-पिता लाखों खर्च कर रहे हैं, विद्यार्थी ऊंची ब्याज दर पर ऋण ले कर पढ़ने पर मजबूर हैं-और उसके बाद नौकरी न मिलना, या साधारण आय पर प्लेसमेंट पाना उनकी आर्थिक स्थिति में गिरावट ही पैदा कर रही है।”
कांग्रेस नेता ने कहा “यह भाजपा की गलत नीति और शिक्षा विरोधी नीयत का ही नतीजा है जो इस देश के मेधावी युवाओं का भी भविष्य अधर में है। क्या मोदी सरकार के पास भारत के मेहनती युवाओं को इस संकट से मुक्ति दिलाने की कोई योजना भी है। विपक्ष अपनी पूरी शक्ति से युवाओं की आवाज निरंतर उठाता रहेगा, उनके खिलाफ हो रहे इस अन्याय पर सरकार को जवाबदेही बनाकर रहेगा। युवाओं को नौकरी नहीं मिल पा रही है।”
अभिनव, उप्रेती
वार्ता