मुंबई, 13 जनवरी (वार्ता) भारतीय सिनेमा के ..युगपुरुष.. चित्रगुप्त का नाम एक ऐसे संगीतकार के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने लगभग चार दशक तक अपने सदाबहार और रूमानी गीतों से श्रोताओं के दिल पर अमिट छाप छोड़ी । बिहार के गोपालगंज जिले में 16 नवंबर 1917 को जन्में चित्रगुप्त श्रीवास्तव को बचपन के दिनों से ही संगीत के प्रति रुचि थी। उन्होंने अर्थशास्त्र तथा पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह पटना में व्याख्याता के रूप में काम करने लगे लेकिन बाद में उनका मन इस काम में नही लगा और वह बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में अपना कैरियर बनाने के लिये मुंबई आ गये । मुंबई आने के बाद चित्रगुप्त को काफी संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान उनकी मुलाकात संगीतकार एस.एन.त्रिपाठी से हुयी और वह उनके सहायक के तौर पर काम करने लगे। वर्ष 1946 में प्रदर्शित फिल्म ..तूफान क्वीन.. से चित्रगुप्त ने बतौर संगीतकार अपने कैरियर की शुरूआत की लेकिन फिल्म फ्लॉप हो जाने के कारण वह अपनी पहचान बनाने में असफल रहे। इस बीच चित्रगुप्त ने अपना संघर्ष जारी रखा। अपने वजूद की तलाश में चित्रगुप्त को फिल्म इंडस्ट्री में लगभग 10 वर्ष तक संघर्ष करना पड़ा। वर्ष 1952 में प्रदर्शित फिल्म ..सिंदबाद द सेलर ..चित्रगुप्त के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुयी । इस फिल्म ने सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये।
इस बीच उनकी मुलाकात महान संगीतकार एस.डी.बर्मन से हुयी जिनके कहने पर चित्रगुप्त को उस जमाने के मशहूर बैनर ..एवीएम..की फिल्म ..शिव भक्त .. में संगीत देने का मौका मिला। फिल्म ..शिव भक्त .. की सफलता के बाद चित्रगुप्त ए.वी.एम बैनर के तले बनने वाली फिल्मों के निर्माताओं के चहेते संगीतकार बन गये । वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म ..भाभी .. की सफलता के बाद चित्रगुप्त सफलता के शिखर पर जा पहुंचे। फिल्म ..भाभी .. में उनके संगीत से सजा यह यह गीत ..चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना ..श्रोताओं के बीच आज भी काफी लोकप्रिय है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी चित्रगुप्त ने संगीत निर्देशन के अलावा अपने पार्श्व गायन से भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इन सब के साथ हीं चित्रगुप्त ने कई फिल्मों के लिये गीत भी लिखे। चित्रगुप्त ने हिंदी फिल्मों के अलावा भोजपुरी, गुजराती और पंजाबी फिल्मों के लिये भी संगीत दिया जिसमें सभी फिल्में सुपरहिट साबित हुयी। सत्तर के दशक में चित्रगुप्त ने फिल्मों में संगीत देना काफी हद तक कम कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि अधिक फिल्मों के लिये संगीत देने से अच्छा है, अच्छा संगीत देना। चित्रगुप्त ने लगभग चार दशक अपने सिने कैरियर में 150 फिल्मों के लिए संगीत निर्देशन किया। अपने संगीतबद्ध गीतों से लगभग चार दशक तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले महान संगीतकार चित्रगुप्त 14 जनवरी 1991 को इस दुनिया से अलविदा कह गये।