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पारसी समरसता, बंधुत्व की श्रेष्ठ मिसाल: रूपाणी

पारसी समरसता, बंधुत्व की श्रेष्ठ मिसाल: रूपाणी

वलसाड 29 दिसंबर (वार्ता) गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है कि अपने धर्म की रक्षा के लिए 1300 वर्ष पूर्व अपना वतन ईरान छोड़कर भारत आने वाले पारसी समरसता और बंधुत्व की श्रेष्ठ मिसाल हैं।

श्री रूपाणी ने रविवार को वलसाड़ जिले के उदवाड़ा में पारसी समुदाय के ईरानशाह उदवाड़ा उत्सव में शिरकत करते हुए कहा कि धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए वतन छोड़ने को मजबूर बने लोग ही वतन से दूर होने की पीड़ा को समझ सकते हैं। पारसी कौम के जोश-जज्बे, प्रतिभा, सामाजिक योगदान और सांस्कृतिक विरासत की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हर दो वर्ष में आयोजित होने वाले ईरानशाह उत्सव की प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दी थी। ईरानशाह उत्सव पारसी समुदाय की सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ एकता, सद्भाव और बंधुता के उच्चतम मानवीय सद्गुणों को उजागर करने वाला उत्सव है।

उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा के लिए वतन छोड़ने को मजबूर और बरसों तक शरणार्थी के रूप में परेशानियों का सामना करने वालों को संवेदनशीलता के साथ नागरिकता प्रदान करने वाले संशोधित नागरिकता कानून का वोट बैंक की राजनीति के चलते विरोध करने वाले लोग स्वयं गुमराह हैं और दूसरों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून किसी की नागरिकता छिनने का कानून नहीं है। उन्होंने इस कानून के विरोध के जरिए देश की धरोहर और सांस्कृतिक व सामाजिक एकता को तोड़ने की कोशिश करने वाले तत्वों से सावधान रहने का अनुरोध भी किया। करीब 1300 वर्ष पहले धर्म की रक्षा के लिए जान जोखिम में डालकर अपने वतन ईरान से पवित्र अग्नि के साथ निकले पारसियों ने इस अग्नि की स्थापना उदवाड़ा में की थी। यह अग्नि तब से आज तक निरंतर जल रही है।

मुख्यमंत्री ने पवित्र अग्नि स्थल पर वंदना करने का अवसर मिलने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उम्मीद जताई कि इस पवित्र अग्नि की अखंड ज्योति के आशीर्वाद से गुजरात के विकास की ज्योति भी अखंड प्रज्वलित रहेगी और समग्र मानवजाति के कल्याण की दिशा में भारत के रोल मॉडल के तौर पर गुजरात स्थापित होगा। पारसी समुदाय की जज्बे की सराहना करते हुए श्री रूपाणी ने कहा कि पारसी कौम मांगने में नहीं बल्कि देने में यकीन रखने वाली कौम है। शांति और सद्भावनापूर्वक जीवन जीने के साथ दरियादिली से समाज के उत्थान के लिए परोपकार के अनेक कार्य इस समुदाय ने किए हैं। उन्होंने कहा कि अच्छे विचार, अच्छे कर्म और अच्छे शब्द पारसी समाज की पहचान हैं। माइक्रो माइनॉरिटी होने के बावजूद पारसी समाज के अनेक लोगों ने देश और गुजरात के विकास में अनन्य योगदान दिया है।

उन्होंने रतन टाटा, साइरस पूनावाला, जनरल सैम मानेकशॉ, मैडम कामा और नानी पालखीवाला सहित अनेक लोगों के योगदान की सराहना करते हुए भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक हुए विकास में पारसियों के योगदान को अहम करार दिया। श्री रूपाणी ने कहा कि पारसी बंधु अपना धर्म संभालने के साथ ही धर्मांतरण की वृत्ति से दूर रहे हैं। यही नहीं, उन्होंने सभी के साथ प्रेम और करुणा का भाव रखते हुए मधुर संबंधों को बनाए रखा है और दूसरे बंधुओं की चिंता भी की है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि केंद्र और गुजरात सरकार सदैव पारसी समुदाय के सुख-दुख में साथ रहेगी और साथ मिलकर जनकल्याण के कार्य करेगी।

इस अवसर पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य वडा दस्तूरजी खुर्शीद काइकोबाद दस्तूर ने कहा कि पूरी दुनिया को पारसी समुदाय का परिचय कराने का प्रयास किया जा रहा है। भारत के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि करोड़ों की आबादी में बतौर अल्पसंख्यक हम सुरक्षित हैं। इतना ही नहीं, हमें भरपूर प्रेम और सुरक्षा भी प्रदान की गई है। उन्होंने पारसी समुदाय के विकास तथा समस्याओं के निराकरण में मुख्यमंत्री तथा राज्य सरकार के सहयोग की सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया।

उल्लेखनीय है कि पूरी दुनिया से विशेषकर पारसी श्रद्धालु यहां पवित्र अग्नि के दर्शन करने को आते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पारसी समाज के अद्भुत योगदान को समझते हुए उनके गौरवपूर्ण इतिहास को दुनिया के सामने लाने के लिए उदवाड़ा में ईरानशाह उत्सव शुरू करवाया था। पारसियों की भव्य संस्कृति को उजागर करने के लिए हर दो वर्ष में आयोजित होने वाले ईरानशाह उदवाड़ा के तीन दिवसीय उत्सव में हेरिटेज वॉक, फोटो गैलेरी, स्ट्रीट आर्ट, ट्रेजर हंट प्रतियोगिता और एन्टिक घड़ियों आदि की प्रदर्शनी एवं बिक्री के अलावा पारसी समाज के लजीज व्यंजनों और कला संस्कृति के प्रदर्शनी मेले का आयोजन किया जाता है।

कार्यक्रम में आदिजाति विकास और वन राज्य मंत्री रमणलाल पाटकर, सांसद डॉ. के.सी. पटेल, विधायक कनुभाई देसाई, बहेराम मेहता, जहांगीर पंथगी, श्रीमती हवावी दस्तूर और दिनशाह तंबोली सहित पारसी समुदाय के अग्रणी, देश-विदेश से आए पारसी और अन्य लोग भी मौजूद थे।

अनिल.संजय

वार्ता

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