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अक्षम लोगों के हाथ में अधिकार स्मार्ट सिटी मिशन का सबसे बड़ा दोष :मंडलायुक्त

झांसी 27 फरवरी (वार्ता) केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में इस योजना की बेहद धीमी प्रगति के कारणों पर सविस्तार चर्चा करते हुए मंडलायुक्त सुभाष चंद्र शर्मा ने अक्षम लोगों के हाथ में सभी अधिकार होने को इसका सबसे बड़ा दोष बताया।
यहां आयुक्त कार्यालय में यूनीवार्ता से बातचीत में मंडलायुक्त ने गुरूवार को कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन की गाइडलाइंस में अनिवार्य रूप से कंसल्टेंटे लेने का प्रोविजन डाला गया है । जिस शहर में यह मिशन है वहां एक प्रोजेक्ट मैनेजमेेंट कंसल्टेंट (पीएमसी) लेने की अनिवार्यता रख दी गयी है। यह मिशन इन्हीं पीएमसी पर आधारित है और ऐसे में स्थानीय प्रशासन बिल्कुल लाचार है हम अपने आप से कोई काम नहीं करा सकते ,अपने इंजीनियर्स से कोई काम नहीं करा सकते। गाइलाइंस के अनुसार हमें इसी सलाहकार की सलाह से काम करना होगा । इस सलाहकार का चयन भी काॅम्पटीटिव बिड से होना चाहिए लेकिन बड़ी बड़ी कंपनियां ऐसी बिड हथिया तो लेती हैं । ये कंपनियां काम तो ले लेती हैं लेकिन काम के लिए कामगार देती नहीं हैं।
परेशानी इस कारण से होती है कि जो सलाहकार बन बैठे हैं उन्हें कोई सलाह देनी आती ही नहीं, विशेषज्ञता इनके पास नहीं, पर्यावरणीय समझ इनके पास नहीं, अंतरविभागीय समन्वय की समझ इनके पास नहीं और हमें ऐसे ही सलाहकारों की सलाह से काम करना है। यह समस्या सभी जगह है लेकिन जहां सक्षम लेाग इस मिशन से जुड़े और उन्होंने गंभीरता से काम किया वहां काम तेजी से आगे बढ़ा और जहां ऐसा नहीं हो पाया वहां मिशन की गति धीमी है।
इस मिशन में तेजी से काम करने की चाह के बावजूद काम नहीं कर पाने के अपने दर्द और छटपटाहट को बयां करते हुए मंडलायुक्त ने कहा “ अक्षम कॉरपोरेट्स की घंटी हमारे गले में बांध दी गयी है और दोषारोपण देश की आईएएस लाॅबी पर कर दिया जाता है। ऐसे अक्षम सलाहकारों को जब एक आईएएस अपने सारे अनुभव के निचोड़ से लेकर चीजें बताता है तो चीजें थोड़ा आगे बढ़ती हैं।
केंद्र सरकार के कंपनीज एक्ट के तहत झांसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड(जेएससीएल) नाम की एक कंपनी बनी है जो सारा काम देख रही है। जिसकी सारी कार्यकारी शक्तियां एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) में निहित होती हैं। जेएससीएल के सीईओ हैं नगर आयुक्त । टेंडर में अपने अनुसार नियम और शर्तें रखी जाती हैं और उनमें थोड़ी सा भी लचीलापन नहीं रखा जाता है इसी कारण बार -बार रीटेंडर करना पड़ता है और काम में अनावश्यक रूप से देरी होती है। मंडलायुक्त इस मिशन के तहत बनाये गये बोर्ड के चेयरमैन मात्र हैं सही में काम सीईओ को करना होता है। अगर प्रशासन को अपने स्तर से काम करना हो तो यह काम काफी जल्दी शुरू हो गये होते लेकिन इस तरह की मजबूरियों के चलते झांसी स्मार्ट सिटी के काम में अभी तक देरी हुई। श्री शर्मा ने बताया कि इस काम में मैंने काफी मेहनत की और और लगभग 300 करोड के टेंडर पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं जिसके तहत दो बड़े प्राजेक्टों पर काम जल्द शुरू किया जायेगा।
सोनिया
जारी वार्ता
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