जयपुर 21 जुलाई (वार्ता) राजस्थान में विलुप्त प्राय: राज्य पक्षी गोडावण के अण्डों से कृत्रिम रुप से सेने के बाद पांच बच्चों के जन्म लेने से उनके वंश वृदि्ध के आसार नजर आने लगे हैं।
गोडावण संरक्षण के तहत राज्य के सीमांत जैसलमेर में डेजर्ट नेशनल पार्क में इनकी वंशवृद्धि के लिए कैप्टिव ब्रीडिंग के प्रयास किये जा रहे है और इस दौरान की गई कृत्रिम तरीके से अण्डे सेने की विधि सफल रही और इस विधि के द्वारा अब तक गोडावण के पांच अण्डों से बच्चे निकले हैं।
गोडावण को लेकर उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई में राज्य सरकार ने शनिवार को बताया कि कृत्रिम रुप से सेने के लिए सात अण्डे एकत्रित किये गये और उनकी कृत्रिम इन्कयूबेटर के माध्यम से अण्डे सेने के प्रयास किया गया तथा अब तक पांच अण्डों में यह प्रयास सफल रहा और इनसे पांच बच्चे निकले जबकि दो अण्डों में इस विधि से अण्डे सेने का काम जारी है। इस मामले में अगली सुनवाई उन्नीस अगस्त हो होगी।
विलुप्त प्राय: गोडावण को बचाने के लिए वन विभाग और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) संयुक्त प्रयास कर रहे हैं अण्डे सेने की कृत्रिम विधि के सफल रहने पर उनके यह प्रयास रंग भी लाये हैं। इससे सरकार और वनप्रेमियों को काफी खुशी हुई है।
पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण संस्था पीपुल्स फॉर एनीमल्स की राजस्थान इकाई के प्रभारी एवं पर्यावरणविद् बाबू लाल जाजू ने इस पर खुशी जताते हुए कहा कि इस विधि के सफल रहने के बाद राज्य पक्षी गोडावण की वंशवृदि्ध की उम्मीद जगी है और इन प्रयासों के साथ इनके संरक्षण के प्रति किये जा रहे प्रयासों में ढिलाई तथा लापरवाही बरतने वाले लोगों के प्रति सख्ती बरती जाये एवं इस प्रजाति को बचाने के लिए लोगों को और जागरुक किया जाये तो इनकी संख्या बढ़ सकती है।
श्री जाजू ने आरोप लगाते हुए कहा कि वन विभाग की लापरवाही के चलते गोडावण की संख्या पांच हजार से घटकर पचास से भी कम रह गई है। उन्होंने कहा कि गोडावण की सौ से कम संख्या होने पर उसके राज्यपक्षी का दर्जा भी छिन सकता है। उन्होंने कहा कि गोडावण विलुप्त होने का कारण राज्य में सरकारी कारिंदों की मिलीभगत के चलते चारागाह भूमि पर अतिक्रमण, उसे उद्योगों एवं आवासीय योजना के लिए दिया जाना, अवैध खनन तथा उनका शिकार भी बड़ा कारण रहा है।
उन्होंने कहा कि उनकी मांग पर वर्ष 2013 में गहलोत सरकार ने प्रोजेक्ट गोडावण की तैयारी एवं बजट भी आवंटित किया था, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते काम आगे नहीं बढ़ा। उन्होंने प्रदेश में जैसलमेर, जोधपुर, अजमेर, कोटा, बाड़मेर जिला गोडावण के घर माने जाते हैं। गोडावण वन्यजीव संरक्षण कानून की प्रथम अनुसूची में शामिल है। गोडावण के शिकार पर सात वर्ष की सजा एवं पांच लाख रुपए का जुर्माने का प्रावधान है। श्री जाजू ने बताया कि राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र में गोडावण 70 से भी कम रह गये है।
बताया जा रहा है कि डेजर्ट नेशनल पार्क एवं उसके आस पास भूमि पर अतिक्रमण गोडावण संरक्षण में बड़ी बाधा बना हुआ है। गोडावण की विश्व में अब दो सौ से भी कम संख्या रह गई है, जो चिंता का विषय है।
गोडावण को बचाने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है और हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में प्रस्तुत परिवर्तित बजट में इनके प्रभावी संरक्षण के लिए योजना बनाने की घोषणा की है। इस दौरान श्री गहलोत ने कहा कि दुनिया में इस इस प्रजाति की संख्या अब दो सौ से भी कम रही गई है, जिसमें अधिकतर राजस्थान में ही है। इसलिए उनके प्रभावी संरक्षण के लिए योजना बनाई जायेगी।