नयी दिल्ली 19 सितंबर (वार्ता) इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस्पात उद्योग को मदद का आश्वासन देते हुये गुरुवार को कहा कि उसे अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिये।
श्री प्रधान ने यहाँ तीसरे अंतर्राष्ट्रीय गैल्वनाइजिंग सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत की ऊर्जा की जरूरतों में बढ़ोतरी से इस्पात की खपत में भी वृद्धि होगी। सरकार की पीएम आवास योजना, हर घर जल योजना और 400 शहरों में पाइप से प्राकृतिक गैस उपलब्ध करने की योजना इस्पात क्षेत्र के लिए शानदार अवसर उपलब्ध करा रही हैं। उन्होंने इस्पात उद्योग को आश्वस्त किया कि सरकार उसकी मित्र और मददगार है तथा उसके लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय मंत्री ने इस्पात उद्योग से अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की अपील की, ताकि देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान दिया जा सके। उन्होंने कहा कि उद्योग को अच्छी गुणवत्ता और कम लागत वाले उत्पादों के उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए। लागत के मामले में किफायती होने के कारण गैल्वनाइज्ड इस्पात महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत में कच्चे माल की उपलब्धता, जनसांख्यिकीय लाभांश, विशाल समुद्र तट और बड़े बाजार उपलब्ध हैं। हमारे पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बेंचमार्क का मुकाबला करने के लिए सभी प्रकार की सामग्री उपलब्ध है।
हमें अपनी आकांक्षाओं को विश्व बाजार से जोड़ना चाहिए।
इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि जस्ते की मदद से इस्पात के गैल्वनीकरण से यह जंगरोधी हो जाता है। इस प्रकार स्टेनलेस स्टील की तुलना में यह कम लागत में जंगरोधी बनाता है। इसका जितना अधिक उपयोग किया जायेगा, देश के लिए उतना ही बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि उद्योग को जनता और उन स्थानों के विकास में सकारात्मक योगदान देना चाहिए, जो आर्थिक विकास से कम लाभान्वित हुए हैं। इस्पात उद्योग को आम नागरिकों के जीवन में पहुँच बनानी चाहिए।
अजीत, उप्रेती
वार्ता