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अब राजनीति के ‘दंगल‘ में उतर कर सामाजिक बदलाव के लिये लड़ेंगी बबीता

अब राजनीति के ‘दंगल‘ में उतर कर सामाजिक बदलाव के लिये लड़ेंगी बबीता

चंडीगढ़, 17 सितम्बर(वार्ता) कुश्ती में अपने दांव पेच से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में विरोधियों को चित कर देश और हरियाणा का गौरव बढ़ाने वाली अंतरराष्ट्रीय पहलवान बवीता फोगाट अब राजनीति के दंगल में उतर कर सामाजिक समस्याओं और बुराईयों से लड़ेंगी।

बबीता ने आज यहां खेल पत्रकार सौरव दुग्गल की पुस्तक ‘अखाड़ा‘ के हिंदी संस्करण के लॉच पर पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। उसने कहा कि हरियाणा पुलिस के उप निरीक्षक पद से इस्तीफा देकर वह अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो चुकी हैं और अब वह राजनीति के दंगल उतर कर सामाजिक बुराईयों और समस्याओं से लड़ेंगी। उसने कहा “ हम फाईटर हैं और लड़ने के लिये तैयार रहते हैं। पहले दंगल में विरोधियों को चित कर देश की सेवा की है और अब राजनीति के माध्यम से जनता से जुड़े मुद्दे उठा कर देश और समाज में बदलाव लाने के लिये लड़ूंगी“।

एक सवाल पर कि खेलों के बाद राजनीतिक पारी शुरू करने के लिये उन्होंने भाजपा को ही क्यों चुना तो बबीता ने कहा कि वह एक राष्ट्रवादी पार्टी से जुड़ना चाहती थी और भाजपा से ज्यादा अच्छी और कोई पार्टी उन्हें नहीं लगी। उसने कहा कि भाजपा की जो सोच और नीति है वह सतही स्तर तक लोगों से जुड़ी हुई और देश को सर्वोपरि रखती है जिससे वह बेहत प्रभावित हुईं। उसने कहा कि वह जिस जुनून के साथ कुश्ती में उतर कर उसने देश का सम्मान बढ़ाया उसी जुनून के साथ वह राजनीतिक में आकर देश की सेवा करना चाहती हैं।

एक अन्य सवाल पर बबीता ने कहा कि राजनीति में आने का फैसला उनका अपना है। सरकारी नौकरी पर रहते हुये वह सामाजिक मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद नहीं कर सकती थी इसलिये राजनीति में आने का फैसला लिया। “ हमारा परिवार करीब 25 साल से राजनीति से जुड़ा रहा है। मैरी मां और चाचा गांव सरपंच रहे हैं ऐसे में बचपन से ही हमें समाज के लिये कुछ करने की प्रेरणा मिली है और इसी को आगे बढ़ाने के लिये उन्होंने राजनीतिक में आने का फैसला लिया है। क्योंकि समाज में अगर हम कुछ बदलाव लाना चाहते हैं या कुछ अहम मुद्दों को ठीक करना चाहते हैं तो इसे राजनीति के माध्यम से ही किया जा सकता है “।

इस सवाल पर कि क्या वह हरियाणा विधानसभा में पार्टी की उम्मीदवार होंगी तो बबीता ने कहा कि इस बारे में फैसला पार्टी काे करना है। पार्टी का जो भी फैसला होगा या पार्टी उन्हें कोई भी जिम्मेदारी देना चाहेगी वह उन्हें स्वीकार्य होगा। हालांकि राजनीति में आने के बाद महिलाओं को उनके अधिकारों के जागरूक करना, महिलाओं को आगे आने के लिये प्रेरित करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चत करना उनकी प्राथमिकता वाले मुद्दे होंगे।

रमेश1655वार्ता

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