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अमरिंदर ने लिया गेहूं खरीद का जायजा

चंडीगढ़, 03 अप्रैल(वार्ता) पंजाब सरकार के आग्रह पर रिजर्व बैंक ने अप्रैल की नकद कर्ज सीमा (सी.सी.एल.) के लिए 22,936 करोड़ रुपए मंजूर किये हैं।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कृषि और खाद्य विभागों को कोविड-19 के चलते रबी सीजन में मंडियों से दो किलोमीटर तक की दूरी वाले गाँवों में किसानों से गेहूँ की खरीद करने के ढंग पर काम करने को कहा है। उन्होंने सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों के साथ आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये रबी की फसल की कटाई और मंडीकरण प्रबंधों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए ।
उन्होंने कहा कि कोरोना के भय को देखते हुये ऐसी व्यवस्था लागू की जाये जिससे किसानों को बाहर ज्यादा न निकलना पड़े। उन्होंने मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार को निर्देश दिए कि किसानों को आढ़तियों के द्वारा फसल की अदायगी करने के लिए नियमों में संशोधन किया जाये और मौजूदा स्थिति को देखते हुए फिलहाल सीधे बैंक ट्रांसफर (डी.बी.टी.) की प्रणाली को टाल दिया जाये। जरूरी वस्तुओं की कमी और जमाखोरी का सख्त नोटिस लेते हुए मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों की समिति बनाने के लिए कहा ,जो जरूरी वस्तुओं की सप्लाई पर रोजमर्रा की निगरानी रखेगी।
उन्होंने पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता को निर्देश दिए कि जमाखोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये।
मुख्य सचिव करण अवतार सिंह ने बैठक में जानकारी दी कि ट्रकों की सुविधाजनक संचालन से जरूरी वस्तुओं की सप्लाई यकीनी बनाई जा रही है क्योंकि कुल ट्रकों में से 35-40 प्रतिशत ट्रक अभी चल रहे हैं। इस प्रक्रिया को सुचारू बनाया जायेगा क्योंकि आने वाले दिनों में अधिक से अधिक ट्रकों को राज्य और सभी जिलों में सप्लाई लाने की अनुमति दी जायेगी।
गेहूँ की खरीद के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री द्वारा दूर स्थित मंडियों के लिए किसानों को उबर जैसी व्यवस्था की तर्ज पर लाने के सुझाव पर भी विचार करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मुख्य सचिव के गेहूँ की घरों से खरीदकर लाने के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं यदि वह इस संभावना को यकीनी बनाने के लिए व्यापक रूपों पर काम करें।
उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य में 50 प्रतिशत के करीब गाँव मंडियों के साथ लगते हैं और वहाँ के किसानों को मंडी में जाने के लिए एक तय समय के लिए थोड़ी संख्या में कर्फ्यू के पास जारी किये जा सकते हैं। मंडियों से दूर गाँवों के लिए उन्होंने खरीद के लिए वहां कर्मियों को भेजने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आढ़तीे जो मौजूदा समय में मंडियों में फसल का प्रबंध कर रहे हैं, को इन गाँवों में यह कार्य संभालने का जिम्मा सौंपा जाये। उन्होंने खरीद केन्द्रों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ खरीद के कुल दिनों में विस्तार करने के आदेश दिए जिससे यह यकीनी बनाया जा सके कि मंडियों में किसानों की भीड़ एकत्रित न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीद प्रक्रिया के दौरान कोविड-19 के संबंधी एहतियाती कदमों का पूरा पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शनिवार को मंत्रिमंडल की होने वाली बैठक के दौरान इन प्रबंधों की फिर से समीक्षा की जायेगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास )विश्वजीत खन्ना ने बताया कि देरी से फसल मंडी में लाने वाले किसानों को मुआवजा देने बारे राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को पहले ही सुझाव दिया जा चुका है और यह कदम मंडियों और खरीद केन्द्रों में भीड़ को रोकने में सहायक सिद्ध होगा । उन्होंने कहा कि इस साल कुल 1.8 लाख टन गेहूँ मंडियों में आने की उम्मीद है। कम्बाईनों को 15 अप्रैल के बाद खेतों में चलने की इजाजत दी जायेगी।
श्री खन्ना ने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने जूट मिलों को 6 अप्रैल तक बंद रखने के आदेश दिए हैं । बंद खुलने पर बोरियों की कमी पी.पी. थैलों से पूरी की जाये । खरीद सीजन के दौरान पांच लाख बोरियों की जरूरत है जिनमें से अब 2.5 लाख बोरियाँ मिली हैं।
श्री खन्ना ने बताया कि तिरपालों और जाल के लिए ऑर्डर दे दिए गए हैं क्योंकि खरीदा गया बहुत स्टॉक खुले में भंडारित किया जायेगा। लकड़ी के छह लाख बक्सों का बंदोबस्त भी किया जा रहा है। मजदूरों और ट्रांसपेार्ट के ठेके का काम मुकम्मल कर लिया गया और फसल के भंडारण के लिए जगह भी निर्धारित कर ली है।
शर्मा
वार्ता
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