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अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा की तैयारी पूरी

अयोध्या, 14 नवम्बर (वार्ता)अयोध्या जिला प्रशासन ने प्रसिद्ध चौदह कोसी परिक्रमा मेला की सभी तैयारियां पूरी कर ली है। चौबीस घंटे तक चलने वाली यह परिक्रमा शुक्रवार सुबह सात बजे से शुरू होगी।
जिलाधिकारी अनिल कुमार पाठह ने बुधवार को यहां बताया कि 16 नवम्बर को चौदह कोसी परिक्रमा सुबह सात बजे से शुरू होगी। चौदह कोसी परिक्रमा मेले के लिये जिला प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है। परिक्रमा के दौरान श्रद्धालुआें की सुविधा के लिये जगह-जगह बैरीकेडिंग, सड़क मरम्मत कार्य, मार्ग पर सफाई तथा प्रकाश की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। उन्होने बताया कि परिक्रमा मार्ग पर जो भी अव्यवस्था है उसे तत्काल दूर करने के निर्देश अधिकारियों को दिये गये है। पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेन्द्र कुमार ने बताया कि स्थानीय पुलिस की मदद के लिये पर्याप्त संख्या में जल पुलिस, होमगार्ड पुलिस तैनात किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 17 नवम्बर को सुबह साढ़े दस बजे चौदह कोसी परिक्रमा पूरी हो जायेगी।
चौदह कोसी परिक्रमा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से अध्योध्या लौटने के बाद की जाती है। मान्यताओं के अनुसार श्री राम के अयोध्या लौटने के बाद अयोध्यावासियों ने प्रत्येक वर्ष के लिये एक कोस परिक्रमा शुरू की थी। यह परम्परा आज भी कायम है। उस परम्परा का निर्वाह करते हुए कार्तिक की अमावस्या अर्थात् दीपावली के नौवें दिन लाखों श्रद्धालु यहां आकर करीब 42 किलोमीटर अर्थात 14 कोस की परिक्रमा एक निर्धारित मार्ग पर अयोध्या और फैजाबाद नगर का चौैतरफा पैदल नंगे पांव चलकर अपनी-अपनी परिक्रमा पूरा करते हैं।
कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन शुरू होने वाले इस परिक्रमा में ज्यादातर श्रद्धालु ग्रामीण अंचलों से आते हैं। श्रद्धालु एक-दो दिन पूर्व ही यहां आकर अपने परिजनों तथा साथियों को लेकर विभिन्न मंदिरों में आकर शरण ले लेते हैं। परिक्रमा के दिन निश्चित समय पर सरयू स्नान कर अपनी परिक्रमा शुरू कर देते हैं। जो उसी स्थान पर पुन: पहुंचने पर समाप्त होती है।
परिक्रमा में ज्यादातर लोग लगातार चलकर अपनी परिक्रमा पूरी करना चाहते हैं। विश्राम के लिये रुकने वालों में ज्यादातर वृद्ध या अधेड़ उम्र के लोग रहते हैं। इनके विश्राम के लिये जिला प्रशासन के अलावा तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं ने जगह-जगह विश्रामालय, नि:शुल्क प्रारंभिक चिकित्सा केन्द्र तथा जलपान गृहों का इंतजाम किया है। श्रद्धालु औसतन अपनी-अपनी परिक्रमा करीब छह-सात घंटे में पूरी कर लेते हैं।
सं भंडारी
वार्ता
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