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राज्य


अवैध पशु वधशालाओं को तीन दिन के भीतर सील करने के निर्देश

नैनीताल 20 सितम्बर(वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में गुरुवार को राज्य में अवैध पशु वधशालाओं को 72 घंटे के अंदर सील करने के निर्देश दिये। उच्च न्यायालय ने राज्य में खुले स्थानों एवं सड़कों पर पशुओं का वध न करने के भी निर्देश दिये हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने हरिद्वार निवासी परवेज आलम की जनहित याचिका की सुनवाई के बाद ये महत्वपूर्ण निर्देश जारी किये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश में अवैध रूप से पशुओं का वध किया जाता है। पशु वधशालाओं के बजाय प्रदेश में खुले स्थानों, गलियों व सड़कों पर पशुओं का दर्दनाक तरीके से वध किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से इस संबंध में साक्ष्य स्वरूप कुछ चित्र प्रस्तुत किये गये। इसके अलावा याचिकाकर्ता की ओर से उत्तर प्रदेश म्यूनिसिपल एक्ट 1916, पशु क्रूरता संरक्षण नियमावली 2001 के अलावा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016, उत्तराखंड पंचायत राज्य एक्ट 2016 एवं उत्तर प्रदेश म्यूनिसिपल कारपोरेशन एक्ट 1959 का हवाला दिया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि जानवरों के भी संवैधानिक अधिकार होते हैं। अधिकारी इस मामले में मूक दर्शन बने रहते हैं। केन्द्र सरकार ने इस संबंध में नियमावली बनायी हैं लेकिन उनका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। दूसरी ओर सरकार की ओर कहा गया कि प्रदेश में एक पशु वधशाला की अनुमति प्रदान की गयी है लेकिन वह अभी संचालित नहीं हो रही है।
दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई के बाद पीठ ने राज्य में चल रहे अवैध पशु वधशालाओं को 72 घंटे के अंदर सील करने के निर्देश सरकार को दिये। पीठ ने कहा है कि गलियों, सड़कों व खुले स्थानों में पशुओं का वध नहीं किया जाए। पीठ ने सरकार को निर्देश दिये हैं कि वह इस मामले में बनाये गये कानूनों व नियमों का अनुपालन कराने के लिये सात दिन के अंदर एक कमेटी का गठन करे।
पीठ ने इस मामले में स्थानीय निकायों की भी जवाबदेही तय की है। पीठ ने कहा कि स्थानीय निकाय यह सुनिश्चित करें कि पशुओं का बध खुले स्थानों, गलियों व सड़कों व रास्तों में न होने पाये।
सं. नीरज
वार्ता
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