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असम में स्थिति सामान्य हाेती आ रही है नजर

गुवाहाटी 13 दिसंबर (वार्ता) असम में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद स्थिति सामान्य होती दिखाई दे रही है।
शुक्रवार को राज्य में कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़कर स्थति शांतिपूर्ण रही। इस बीच राज्य में प्रशासन स्तर पर फेरबदल करते हुए करीब 10 पुलिस अधीक्षकों के तबादले कर दिये गये।
डिब्रूगढ़ जैसे असम के अन्य प्रमुख शहरों में सुबह पांच घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गयी। इससे पहले गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ समेत असम के विभिन्न हिस्सों में नागरिक संशोधन कानून को लेकर स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी। असम में इंटरनेट सेवाओं पर एहतियातन रोक लगा दी गई है और सेना स्थिति को सामान्य करने में प्रशासन की सहायता करती कर रही है।
तिनसुखिया और जोरहाटा में रात में कर्फ्यू लगा हुआ है। इस बीच राज्य में यातायात पूरी तरह बाधित है और अगले दो-तीन दिनों के लिए करीब 70 ट्रेनें स्थगति कर दी गई हैं।
गुरुवार को गुवाहाटी के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों पर की गई पुलिस की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई। शुक्रवार को सुरक्षा कर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की कोई रिपोर्ट नहीं आई। ।
शहर में आज सुबह सड़क अवरुद्ध करने की कुछ घटनाओं की रिपोर्ट मिली लेकिन कुल मिलाकर स्थिति सामान्य रही।
कामरुप (मेट्रो) जिला प्रशासन ने प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर जमा हुए मलबे, जले हुए वाहनों और अन्य सामग्रियों को हटाने के लिए सफाई अभियान शुरू कर दिया है।
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) लगातार कैब का विरोध कर रहा है और उसने चानमरी मैदान में शुक्रवार की सुबह से 10 घंटे के सामूहिक अनशन शुरू किया है। आसू को इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से भी समर्थन मिल रहा है। आसू ने कल भी कर्फ्यू का उल्लंघन कर लताशील मैदान में विरोध रैली का आयोजन किया था।
डिब्रूगढ़ में शुक्रवार को कर्फ्यू में एक बजे से पांच घंटे की छूट दी गयी ताकि लोग आवश्यक चीजों की खरीद कर सकें। राज्य के उत्तरी इलाके में स्थित तेजपुर और धेकियाजुली थाना क्षेत्रों में भी कर्फ्यू में ढील दी गयी।
सेना के जवान स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए हिंसा से प्रभावित विभिन्न इलाकों में तैनात हैं। सेना के जवान कुछ इलाकों में कानून एवं व्यवस्था में सुधार के काम में भी लगे हुए हैं।
गाैरतलब है कि संसद के दोनों सदन से पारित नागरिकता संशोधन कानून के मुताबिक 31 दिसंबर 2014 से पहले बांगलादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आये हिंदू, पारसी, सिख, जैन, बैद्ध तथा ईसाई समाज के लोगों को बिना किसी दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है और इसके विरोध में पूर्वोत्तर के राज्यों विशेषकर असम और त्रिपुरा के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।
उप्रेती, प्रियंका
वार्ता
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