नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (वार्ता) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वित्तीय दृष्टि से मजबूत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) से उच्च रेटिंग वाली परिसम्पत्तियों की खरीद के लिए 'आंशिक ऋण गारंटी योजना' को मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
आंशिक ऋण गारंटी योजना के तहत बैंकों द्वारा खरीदी जा रही परिसम्पत्तियों के उचित मूल्यों के 10 प्रतिशत तक के प्रथम नुकसान अथवा 10,000 करोड़ रुपये, इनमें से जो भी कम हो, तक सीमित होगी। इस पर आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने सहमति जताई है। इस योजना के दायरे में वे एनबीएफसी और एचएफसी आएंगी, जो 01 अगस्त, 2018 से पहले की एक वर्ष की अवधि के दौरान संभवत: 'एसएमए-0' श्रेणी में आ गई हैं। इसी तरह इस योजना के दायरे में वह परिसम्पत्तियां आएंगी, जिन्हें 'बीबीबी प्लस' अथवा उससे ज्यादा की रेटिंग प्राप्त है।
आंशिक ऋण गारंटी की सुविधा 30 जून, 2020 तक अथवा बैंकों द्वारा 1,00,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसम्पत्तियां खरीद लिए जाने की तिथि तक खुली रहेगी। इस योजना की दिशा में हुई प्रगति को ध्यान में रखते हुए इसकी वैधता अवधि को तीन माह तक बढ़ाने का अधिकार वित्त मंत्री को दिया गया है।
इस योजना की गारंटी की घोषणा केन्द्रीय बजट 2019-20 में की गई थी।
सत्या
वार्ता