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आईआईटी कानपुर के चार प्रोफेसरों समेत पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज

कानपुर 19 नवम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के एयरोस्पेस विभाग के एक प्रोफेसर ने संस्थान के चार प्रोफेसरों समेत पांच लोगों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया है ।
पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि डा. सुब्रह्मण्यम सडरेला की तहरीर पर कल्याणपुर थाने में प्रो. ईशान शर्मा, प्रो. संजय मित्तल, प्रो. राजीव शेखर, प्रो.चंद्रशेखर उपाध्याय और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रो. ईशान शर्मा आईआईटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं। प्रो. राजीव शेखर आईआईटी कानपुर में मैटीरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर रहे और वर्तमान में आईआईटी आईएसएम के निदेशक हैं। प्रो. चंद्रशेखर उपाध्याय आईआईटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं और प्रो. संजय मित्तल भी इसी विभाग में बतौर प्रोफेसर पद पर तैनात हैं।
मामले की जांच कर रहे क्षेत्राधिकारी राजेश पाण्डेय ने बताया कि जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें सात साल की सजा का प्रावधान नहीं है। ऐसे में चारों प्रोफसरों की गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। पूरे मामले की विवेचना की जा रही है और जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सुब्रह्मण्यम सडरेला जो इसी विभाग के छात्र रह चुके है ने देर रात कल्याणपुर थाने में संस्थान के चार प्रोफेसरों पर बदसलूकी , प्रताडऩा और ई-मेल से पीएचडी की डिग्री के प्रति भ्रांति फैलाने का भी आरोप लगाया । डा0 सडरेला की तहरीर पर थाने में आईपीसी की धारा 500, 66 डी आईटी एक्ट और एससी-एसटी की धारा डी टू बी ए के तहत मुकदमा दर्ज कर किया गया है।
जिन प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है उनकी पत्नियों ने आईआईटी निदेशक प्रो. अभय करन्दीकर से मिलकर पूरे मामले को खत्म करने की अपील की। इसके साथ ही संस्थान के सौ से अधिक प्रोफेसरों ने भी निदेशक से मिलकर कहा कि यह सब ठीक नहीं है और इससे संस्थान की छवि खराब हो रही है । प्रो. सडरेला से मिलकर बातचीत की जाये और मुकदमा वापस कराया जाये। वहीं प्रोफसरों ने निदेशक को चेतावनी भी दी कि अगर मामला खत्म नहीं हुआ तो पठन-पाठन कार्य का बहिष्कार कर दिया जाएगा। वहीं निदेशक पूरे मामले को लेकर कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया।
डा. सडरेला की शिकायत के मुताबिक आईआईटी के एयरोस्पेस विभाग में छात्र रहा और जुलाई 2017 में आईआईटी में इसी विभाग के असिस्टेंट प्रोफसर पद के लिए आवेदन किया। जिसके बाद इसी वर्ष 26 दिसंबर को बाहरी विशेषज्ञों ने जांच के बाद उसकी नियुक्ति की सिफारिश की और 28 दिसंबर को उन्हें नियुक्ति पत्र मिला। इसके बाद एक जनवरी को उन्होंने एयरोस्पेस विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया। जिसके बाद चार जनवरी को एक संगोष्ठी के दौरान प्रो. संजय मित्तल ने व्यंगात्मक एवं अपमानजनक टिप्पणी की।
इसके बाद साजिशन उनकी नियुक्ति को अनुपयुक्त करार दिया जाने लगा और आईआईटी परिसर में भ्रम फैलाया जाने लगा। शिकायत के मुताबिक इसकी शिकायत एससी-एससी आयोग से की गयी थी। जिस पर 10 अप्रैल को आयोग में सुनवाई हुई और उसी दिन कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए। इसके बाद उपरोक्त प्रोफेसरों ने उच्च न्यायालय की शरण ली और उनको वहां से स्थगन आदेश मिल गया। लेकिन आईआईटी को इस विषय पर जांच करने के भी आदेश मिल गयें। जिसके बाद आईआईटी की बीओजी की रिपोर्ट में नियुक्ति को सही पाया गया ।
सं त्यागी
वार्ता
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