नयी दिल्ली, 19 फरवरी (वार्ता) दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व नीति आयोग की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सिंधुश्री खुल्लर समेत छह लोगों को जमानत दे दी, जिसमें पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम भी आरोपी हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में कथित अनियमितताओं को लेकर 15 मई 2017 को एक मामला दर्ज कराया था। यह मंजूरी श्री पी. चिदंबरम के वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गयी थी।
सीबीआई के मामले के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया।
इस मामले में सीबीअाई ने श्री चिदंबरम को पिछले साल 21 अगस्त को हिरासत में लिया गया था और 16 अक्टूबर को ईडी ने उन्हें पीएमएलए के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था। श्री चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय ने चार दिसंबर को जमानत दे दी थी।
आरोपी व्यक्तियों की ओर से यह दलील दी गयी थी कि सीबीआई ने मामले की जांच के समय उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था और अब जब जांच पूरी हो चुकी है और अंतिम रिपोर्ट दायर कर दी गयी है तो उन्हें हिरासत में लेने का कोई आधार नहीं है। आरोपियों ने यह भी कहा कि उन्होंने जांच में बाधा डालने की कोशिश नहीं की।
सीबीआई के वकील ने यह कहते हुए जमानत याचिका का विरोध किया कि आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और अगर इस स्तर पर जमानत दी जाती है तो फरार भी हो सकते हैं।
विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहार ने दलीलें सुनने के बाद सुश्री खुल्लर, वित्त मंत्री के पूर्व विशेष ड्यूटी अधिकारी (ओएसडी) प्रदीप कुमार बग्गा, एफआईपीबी के पूर्व निदेशक प्रबोध सक्सेना, एफआईपीबी इकाई के पूर्व अनुभाग अधिकारी अजीत कुमार डुंगडुंग, एफआईपीबी इकाई में तत्कालीन अवर सचिव रबींद्र प्रसाद और पूर्व संयुक्त सचिव (विदेश व्यापार) डीईए अनूप के पुजारी को जमानत दे दी।
अदालत ने दो-दो लाख रुपये के जमानती बांड और अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने की शर्त पर जमानत दी है। अदालत ने उन्हें सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने या जांच में बाधा नहीं डालने का निर्देश दिया है।
यामिनी राम
वार्ता